कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आज एक वीडियो जारी कर भूमि अधिग्रहण कानून की धज्जियां उड़ाने पर मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सितंबर 2013 में जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब एक ऐतिहासिक, क्रांतिकारी और प्रगतिशील भूमि अधिग्रहण कानून लाया गया था। ये 1894 का जो अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था उस कानून को हटाकर ये नया कानून लाया गया था।
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रमेश ने आगे कहा कि इसके मुख्य प्रावधान क्या थे। किसानों को चार गुणा मुआवजा ग्रामीण इलाकों में, दो गुणा मुआवजा शहरी इलाकों में, बिना जबरदस्ती के भूमि अधिग्रहण, जब भूमि अधिग्रहण होता है उनकी अनुमति के बिना भूमि अधिग्रहण नहीं होगा और पूर्व प्रभावी प्रावधान भी किए गए थे। और ये भी लिखा गया है इस कानून में कि अगर पांच साल के अंदर कोई भी कंपनी या सरकार उस जमीन का इस्तेमाल नहीं करती है तो किसान को वापस जमीन लौटाया जाए। और बहुफसल, बहुसिंचित जमीन का अधिग्रहण नहीं होगा क्योंकि खाद्य सुरक्षा पर इसका बहुत गहरा और नकारात्मक असर पड़ सकता है।
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जयराम रमेश ने कहा कि लेकिन मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कानून को कमजोर करने में लगे हुए हें। बीजेपी शासित राज्यों में कानून कमजोर हुआ है। किसानों को सही मुआवजा नहीं मिल रहा है। जबर्दस्ती भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। और जिस मकसद से भूमि अधिग्रहण हो रहा है, उस मकसद के लिए उस जमीन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। गुनहगार तो सरकारी संस्थान ही हैं। तो असली बात यह है कि यह किसान विरोधी नरेंद्र मोदी हैं, क्योंकि उन्होंने यह प्रगतिशील और क्रांतिकारी भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है और इसको खत्म करने में लगे हुए हैं।
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