अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले हुई यह किसान महापंचायत इस मायने में भी अहम रही क्योंकि इससे किसान आंदोलन का भविष्य और देश-प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य पर असर पड़ना लाजिमी है।
इस महापंचायत ने अभी तक मोटे तौर पर अपराजेय मानी जाने लगी बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। कारण साफ है कि बीजेपी और उसकी अगुवाई वाली केंद्र और राज्यों की सरकारें भले ही विपक्ष को तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर राजनीतिक जमीन पर पीछे धकेलने का काम करती रही हो, ऐसे ही समय में किसान आंदोलन अहंकारी सत्ता और बदले की भावना से भरी सरकारों के खिलाफ प्रतिरोध की एक मिसाल और मशाल के तौर पर सामने आया है।
Published: 05 Sep 2021, 10:14 PM IST
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Published: 05 Sep 2021, 10:14 PM IST