देश में संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से ही सभी राज्यों में ट्रैफिक पुलिस की टीम धड़ल्ले से लोगों के चालान काटने में लगी हुई है। इस बीच पुलिस और चालकों के बीच झड़प और दुर्व्यवहार की कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। पुलिस को चालकों के जरूरी दस्तावेज जांचने का अधिकार है। लेकिन मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वहां चालकों के भी अधिकार हैं और पुलिस के लिए भी कानून में कुछ सीमाएं तय की गई है। आइए जानते हैं।
पुलिस द्वारा दस्तावेज के जांच के दौरान चालक अपने फोन से पुलिस वालों की वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं। इस दौरान पुलिस को उनके फोन को छीनने या छूने का अधिकार नहीं है।
पुलिस द्वारा रोके जाने पर अगर चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस या आरसी नहीं है तो चालक अपने फोन में जरूरी दस्तावेजों की तस्वीर खींच सकते हैं।
चालक अपनी गाड़ी में हॉकी, क्रिकेट बैट, बेस बैट या विकेट आदि रख सकते हैं। हालांकि कानून अवैध हथियार रखने की अनुमति नहीं देता।
चौपहिया वाहन चालकों को सीट बेल्ट लगाना जरूरी हैं। लेकिन ड्राईवर के साइड वाली सीट पर बैठे व्यक्ति को किसी बीमारी या चोट के चलते छूट दी सकती हैं। गर्भवती महिलाएं भी सीट बेल्ट से छूट दी जा सकती है।
अपनी गाड़ी पर डॉक्टर, वकील या प्रेस का लोगो लगाने में कोई घुरेज नहीं होगा लेकिन अपनी निजी गाड़ी के पीछे भारत सरकार या राज्य सरकार लिखवाना महंगा पड़ सकता है।
पुलिसकर्मी अगर किसी चालक को रोकता है तो उसके लिए रुकना आनिवार्य होगा। लेकिन पुलिसकर्मी किसी के साथ न तो मारपीट कर सकता है और न ही उनको गली दे सकता है। इसके अलावा पुलिसकर्मी को चालक के स्कूटर और बाइक से चाबी निकालने का भी कोई अधिकार नहीं है।
वाहन चालक अपनी गाड़ी में कमर्शियल पर्पस से सामान ले जा सकता है लेकिन इसके लिए उसे सामान का बिल पुलिस अधिकारी को दिखाना होगा।
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