इन दिनों देश में एक अजीब सा माहौल बना हुआ है। विभाजनकारी नीतियां तेजी से अपने पैर पसार रही हैं। सत्ताधारी दलों द्वारा ध्रुवीकरण और असंतोष की भावना फैलाने का काम किया जा रहा है। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा, दोनों ही चुनावों में बीजेपी के नेता असल मुदों से हटकर पाकिस्तान, इमरान खान हिन्दू-मुस्लमान जैसे मुद्दों पर अपना राग अलापना शुरू कर देते हैं।
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मौजूदा समय में CAA को लेकर देश में जो विरोध चल रहा है उसे भी बीजेपी नेता एक अलग रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। इस माहौल के बीच एक मशहूर साहित्यकार, रचनाकार देवी प्रसाद मिश्र की कविता ‘वे मुसलमान थे’ याद आती है। यह कविता देश में बन रहे माहौल के बीच बीजेपी को आईना दिखाती है।
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