देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न एजीपे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। हमारा देश मिसाइल मैन का हमेशा अभारी रहेगा। अपने जीवन के आखिरी क्षणों में भी वो बच्चों को लेक्चर दे रहे थे। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी वो खास बातें जो आप नहीं जानते।
Published: 27 Jul 2019, 4:07 PM IST
चार साल पहले 27 जुलाई को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था। यहां वो लेक्चर देने गए थे। कलाम ने अपने आखिरी कुछ घंटे ऐसे बिताए जो यादगार है। उनकी आखिरी इच्छा, उनके आखिरी शब्द, सब हमे बताते हैं कि वो देश के लिए कितना सोचते थे। भारत की 'अग्नि' मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके। 83 वर्ष के कलाम दुनिया से विदा ले चुके थे।
Published: 27 Jul 2019, 4:07 PM IST
एपीजे अब्दुल कलाम एक मछुआरे के बेटे थे, उन्होंने कई व्याख्यानों में इसका जिक्र किया कि वो शुरुआती जीवन में अखबार बेचते थे। आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बजे उठते थे। वहां से गणित पढ़ने निकल पड़ते थे। ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे।
कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को वजह बताते हैं। वो कहते हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे। एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए। वहां कई पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र के किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे। वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया, साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है। उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं। उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी। बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाउं। मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।
Published: 27 Jul 2019, 4:07 PM IST
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं।
1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया।
Published: 27 Jul 2019, 4:07 PM IST
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Published: 27 Jul 2019, 4:07 PM IST