भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि उन्हें अपने समय के खिलाड़ियों की तुलना में टी 20 प्रारूप ज्यादा पसंद है क्योंकि इसमें ज्यादा एक्शन है। पूर्व समय के कई खिलाड़ी टी20 प्रारूप की आलोचना कर चुके हैं और इनका मानना है कि टी20 क्रिकेट के कारण टेस्ट क्रिकेट अपनी प्रासंगिकता खो रहा है।
गावस्कर ने कहा, "मुझे पता है कि कई लोग जो मेरे समय में खेलते थे वे टी20 प्रारूप से खुश नहीं है लेकिन मुझे यह पसंद है। मैं इसे इसलिए पसंद करता हूं क्योंकि यह तीन घंटे का खेल है और इसमें जल्द नतीजे आ जाते हैं।" उन्होंने कहा, "जब कोई स्विच हिट और रिवर्स स्विप लगाता है तो मुझे बेहद पसंद आता है क्योंकि ये बेहतरीन शॉट होते हैं और इसे खेलने के लिए प्रतिभा की जरूरत है।"
पूर्व भारतीय कप्तान ने दक्षिण अफ्रीका के एबी डीविलियर्स को इस प्रारूप का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज करार दिया।
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न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाली वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के बाद और इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली पांच मैचों की टेस्ट सीरीज से पहले भारत को अपनी तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। टीम अगस्त-सितंबर में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज की तैयारी के लिए कुछ इंट्रा-स्क्वाड मैच खेलेगी क्योंकि उसका लोकल काउंटी टीम के खिलाफ कोई मैच नहीं होगा। लेकिन डब्ल्यूटीसी फाइनल (18-22 जून) के बाद डेढ़ महीने का ब्रेक उसे मिलेगा, जब इंग्लैंड में लॉकडाउन हटा लिया गया होता।
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने इंग्लैंड रवाना से होने से पूर्व कहा, " मुझे लगता है कि जब आप विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के साथ समाप्त कर लेते हैं तो यह खुद को ताजा करने और पुनर्गठन करने का एक शानदार अवसर है।"
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रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता भारतीय महिला बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने कहा है कि आगामी टोक्यो ओलंपिक में मुकाबला आसान नहीं होगा क्योंकि महिला एकल स्पर्धा में सभी शीर्ष 10 खिलाड़ी एकसमान हैं और कोई भी अपने प्रदर्शन से चौंकाने में सक्षम हैं। सिंधु ने गुरुवार को वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा, " मैं टोक्यो ओलंपिक के दौरान किसी भी तरह के आश्चर्य के लिए तैयार हूं। पोडियम फिनिश हासिल करना आसान नहीं होगा क्योंकि महिला एकल स्पर्धा में सभी प्रमुख खिलाड़ी समान क्षमता की हैं। "
सिंधु एकमात्र महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए महिला एकल वर्ग के लिए क्वालीफाई किया है। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण टूर्नामेंट रद्द होने के बाद खाली समय ने उन्हें नए कौशल और तकनीक सीखने का अवसर प्रदान किया है।
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भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान के रूप में गुरुवार को इंग्लैंड का तीसरा दौरा शुरू किया। वह आधुनिक क्रिकेट में चार बेस्ट बल्लेबाजों में से एक हैं, जिनका 2014 में इंग्लैंड का पहला दौरा काफी खराब रहा था और स्विंग गेंदबाजी के सामने वह लड़खड़ाते नजर आए थे। कोहली ने 2014 के इंग्लैंड दौरे पर 13.4 की औसत से 10 पारियों में केवल 134 रन बनाए थे। चार साल बाद वह एक सफल बल्लेबाज के रूप में लौटे और द्विपक्षीय सीरीज में उन्होंने 59.3 की औसत से 10 पारियों में 593 रन बनाए थे।
32 साल के कोहली ने भारत के लिए अग तक 60 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है, जिसमें भारत ने 36 जीते हैं। वह सबसे ज्यादा टेस्ट मैच जीतने वाले भारतीय कप्तान हैं।
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न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज डेवन कॉन्वे ने अपने पदार्पण टेस्ट में शतक जड़कर पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के पदार्पण टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद कहा कि अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए समय चाहिए। कॉन्वे ने लॉडर्स के मैदान पर खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के पहले दिन बुधवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने पदार्पण टेस्ट में नाबाद 136 रनों की पारी खेली। उनसे पहले गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड दौरे के दौरान लॉडर्स में अपने पदार्पण टेस्ट के दौरान 131 रनों की पारी खेली थी।
कॉन्वे और गांगुली के अलावा चार अन्य बल्लेबाज भी लॉडर्स में अपने पदार्पण टेस्ट में शतक लगा चुके हैं। कॉन्वे लॉर्डस के ऐतिहासिक मैदान पर अपने डेब्यू मैच में शतक जड़ने वाले तीसरे विदेशी बल्लेबाज बने। उनसे पहले हैरी ग्राहम (1893) और सौरव गांगुली (1996) ये कारनामा कर चुके हैं।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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