ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा का मानना है कि पेरिस खेलों में भारत के और अधिक निशानेबाजों के पास अपने ‘प्रदर्शन को पदक’ में बदलने का मौका था लेकिन कुल मिलाकर यह एक ऐसा अभियान था जिस पर उन्हें गर्व होना चाहिए।
भारत ने निशानेबाजी में तीन सहित कुल मिलाकर छह पदक जीते। इस दौरान मनु भाकर आजादी के बाद ओलंपिक के एक ही सत्र में दो पदक जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी बनी।
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महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीतने के बाद मनु ने सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित निशानेबाजी में भी कांस्य पदक जीता। भारत को एक और कांस्य स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन स्पर्धा में दिलाया। बिंद्रा ने ‘जियो सिनेमा’ से कहा, ‘‘कुछ निशानेबाज चूक गये लेकिन हर किसी ने अच्छी टक्कर दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अच्छा परिणाम जरूरी है लेकिन उससे अधिक महत्वपूर्ण यह देखने के बारे में है कि आपने एक देश के तौर पर प्रदर्शन के मामले में कितना सुधार किया है। आप इस तरह देखें तो हमने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। हम कुछ और प्रदर्शनों को पदकों बदलते देखना चाहते हैं, लेकिन हमारे पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है।’’
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बीजिंग ओलंपिक (2008) के स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने कोच जसपाल राणा के साथ मनमुटाव खत्म करने और सफलता के लिए मिलकर काम करने पर मनु की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, ‘‘ वह (राणा) ज्ञान का भंडार है, खिलाड़ियों से कड़ी मेहनत करवाने वाले कोच है और यह अच्छी बात है। मेरे पास ऐसे कोच थे जो मुझे नापसंद थे लेकिन मैं उनको चाहता भी था। मैंने उनके साथ काम करने का एक तरीका ढूंढ लिया था।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘ मैं मनु को श्रेय देता हूं कि उन्होंने कुछ वर्षों के कठिन समय के बाद जसपाल के साथ समझौता कर लिया। यह एक कोच-एथलीट रिश्ते में सामान्य है। एथलीट संवेदनशील लोग होते हैं और जब हम दबाव में होते हैं तो संवेदनशीलता बढ़ जाती है।’’
उन्होंने मनु और कुसाले की सराहना की तो वही मामूली अंतर से कांस्य पदक चूकने वाले अर्जुन बबूता का हौसला बढ़ाया। बबूता 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहे थे।
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उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने प्रतियोगिता से पहले और बाद में उनसे बात की, वह निराश था, लेकिन वह भविष्य की ओर देख रहा है। उसे चौथे स्थान पर रहने की टीस से निकलने में थोड़े समय की जरूरत होगी। लेकिन यही जीवन है, यही खेल है।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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