भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने आईसीसी टेस्ट बल्लेबाजी रैंकिंग में अपने साथी विराट कोहली को पीछे छोड़ दिया है, जबकि न्यूजीलैंड के ऑलराउंडर रचिन रवींद्र इसी श्रेणी में टॉप-20 में शामिल हो गए हैं। ऋषभ पंत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु में पहले टेस्ट में 20 और 99 रन की पारी खेली थी। वह टेस्ट बल्लेबाजों की ताजा रैंकिंग में तीन पायदान की छलांग लगाकर छठे स्थान पर पहुंच गए हैं और विराट कोहली को पीछे छोड़ दिया है। इंग्लैंड के बल्लेबाज जो रूट रैंकिंग में शीर्ष पर अच्छी बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि यशस्वी जायसवाल तीसरे स्थान पर हैं। पंत और कोहली के साथ शीर्ष 10 में शामिल वह अन्य भारतीय खिलाड़ी हैं।
न्यूजीलैंड के नजरिए से रविंद्र 36 पायदान ऊपर 18वें स्थान पर पहुंच गए हैं। उन्होंने 134 और नाबाद 39 रन की पारी खेली थी, जिससे मेहमान टीम को 1988 के बाद भारत में पहली टेस्ट जीत मिली थी। सलामी बल्लेबाज डेवोन कॉनवे 12 पायदान ऊपर 36वें स्थान पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान के ऑलराउंडर सलमान अली आगा ने दूसरे मैच में 31 और 63 रन की पारी खेली थी, जिसके बाद वह आठ स्थान के फायदे से 14वें स्थान पर पहुंच गए हैं। मेहमान टीम ने दूसरे मैच में जीत दर्ज कर घरेलू मैदान पर टेस्ट जीत का सूखा खत्म किया था। सलमान ने अपनी पिछली चार टेस्ट पारियों में से तीन में 50 रन बनाए हैं। अब वह अपने साथी बाबर आजम (19वें), मोहम्मद रिजवान (21वें) और सऊद शकील (27वें) को पीछे छोड़कर पाकिस्तान के सर्वोच्च रेटिंग वाले टेस्ट बल्लेबाज बन गए हैं।
पाकिस्तान के स्पिनर नोमान अली मुल्तान में इंग्लैंड के खिलाफ दो पारियों में 11 विकेट लेने के बाद टेस्ट गेंदबाजों की रैंकिंग में 17वें स्थान पर वापस आ गए हैं, जबकि उनके साथी साजिद खान उसी मैच में प्लेयर ऑफ द मैच चुने जाने के बाद 22 स्थान की छलांग लगाकर 50वें स्थान पर पहुंच गए हैं।
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पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल बतौर कोचिंग स्टाफ़ गुजरात टाइटन्स (जीटी) के साथ जुड़ने जा रहे हैं। ईएसपीएनक्रिकइंफो को जानकारी मिली है कि आशीष नेहरा के नेतृत्व वाली कोचिंग टीम में पार्थिव कई भूमिका निभाएंगे जिसमें सहायक कोच के साथ-साथ वह टैलेंट स्काउट भी रहेंगे। 2020 में संन्यास लेने के बाद पार्थिव पहली बार आईपीएल में कोचिंग करते नज़र आएंगे। इससे पहले 2023 तक पार्थिव तीन सीज़न तक टैलेंट स्काउट रह चुके हैं, हालांकि 2023 में आईएलटी20 के पहले सीज़न में वह एमआई एमिरेट्स के बल्लेबाज़ी सलाहकार भी रहे हैं। संयोग ये है कि एक और पूर्व भारतीय विकेटकीपर दिनेश कार्तिक भी आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) में कोचिंग करते नज़र आएंगे। 39 वर्षीय पार्थिव 2008 से लेकर 2019 के बीच आईपीएल की छह अलग-अलग फ़्रैंचाइज़ी के साथ खेल चुके हैं, जिसमें उनके नाम तीन ख़िताबी जीत भी है। 2010 में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) और दो बार मुंबई इंडियंस (एमआई) के साथ 2015 और 2017 में वह चैंपियन टीम का हिस्सा थे। आईपीएल के 139 मैचों में पार्थिव ने 120 से ज़्यादा के स्ट्राइक रेट से 2848 रन बनाए हैं, वह ज़्यादातर बतौर सलामी बल्लेबाज़ खेला करते थे।
जीटी जो लगतार दो बार फ़ाइनल में पहुंचने के बाद (2022 में विजेता), पिछली बार 2024 में सातवें पायदान पर थी - इस टीम के साथ पार्थिव का जुड़ना निर्णायक साबित हो सकता है। जीटी के कोचिंग स्टाफ़ में नेहरा (प्रमुख कोच), विक्रम सोलंकी (क्रिकेट निदेशक) और आशीष कपूर (सहायक कोच) शामिल हैं। पूर्व दक्षिण अफ़्रीकी दिग्गज गैरी कर्स्टन भी 2022 से 2024 तक जीटी के कोचिंग स्टाफ़ में शामिल थे लेकिन पाकिस्तान के सीमित ओवर कोच बनने के बाद उन्होंने जीटी को अलविदा कह दिया था।
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भारत को शूटिंग खेल में अपनी पहली फ्रेंचाइजी लीग मिलने जा रही है, जिसे फिलहाल शूटिंग लीग ऑफ इंडिया (एसएलआई) नाम दिया गया है। इसकी घोषणा भारत में ओलंपिक खेल की शासी संस्था, भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने की। एनआरएआई के अध्यक्ष कलिकेश नारायण सिंह देव द्वारा प्रस्तावित इस योजना को संघ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, गवर्निंग बॉडी से मंजूरी मिल गई है। पहले संस्करण का आयोजन मार्च 2025 में, अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खेल महासंघ (आईएसएसएफ) से स्वीकृति प्राप्त करने के बाद किया जाएगा और इसके लिए एक समय सीमा निर्धारित की जा रही है। इस विकास पर बोलते हुए, सिंह देव ने कहा, “हाल ही में हुए पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद शूटिंग की लोकप्रियता को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला है, और हमें लगा कि यह लीग शुरू करने का सही समय है। हमने देखा है कि अच्छी तरह से संगठित फ्रेंचाइजी लीगों ने न केवल खेल की लोकप्रियता को बढ़ावा दिया है, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने खेल और उसके एथलीटों के लिए नई दर्शक संख्या और राजस्व भी लाया है।”
उन्होंने आगे कहा, "शूटिंग अपने शुद्ध ओलंपिक रूप और प्रारूप में टेलीविजन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है, हालांकि हमने इस पर गहन विचार किया है और महसूस किया कि हमने एक सफल प्रारूप हासिल कर लिया है। यह सब खेल और उसके सुपर एथलीटों के हित में है, जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में वैश्विक मंचों पर देश को लगातार गौरव दिलाया है। वे इसके हकदार हैं।” एनआरएआई के महासचिव, के. सुल्तान सिंह ने एसएलआई की मूल रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम सभी 15 ओलंपिक इवेंट्स को एसएलआई का हिस्सा बनाना चाहते हैं, लेकिन हम कुछ प्रारूपों में नवाचार और बदलाव करेंगे ताकि उन्हें टेलीविजन या लाइव स्ट्रीम पर अधिक रोमांचक बनाया जा सके। हम खेल में नये दर्शकों और प्रायोजकों को आकर्षित करने के लिए अद्वितीय स्वामित्व और टीम संरचना भी चाहते हैं। जल्द ही और विवरण साझा किए जाएंगे।
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रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने अपने कुश्ती सफर का विवरण देते हुए पुरुष प्रधान खेल में एक महिला होने के संघर्षों पर अपनी बात रखी। उन्होंने 2012 की एक घटना का जिक्र किया, जब उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण सिंह से उत्पीड़न सहना पड़ा था। उस समय को याद करते हुए उन्होंने बताया कि अपनी बात कहने से उनका करियर बर्बाद हो सकता था, इसलिए उन्होंने अपना प्रशिक्षण जारी रखने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने को प्राथमिकता दी, भले ही माहौल बेहद चुनौतीपूर्ण था। साक्षी ने आईएएनएस से कहा, "मैं काफी समय से किताब लिखना चाहती थी, खासकर ओलंपिक के बाद मैं इस ओर ध्यान देती। मैं चाहती थी कि मेरी कहानी हर कोई जाने और समझे। मेरा मानना था कि इससे मेरे संघर्षों के कारण कई लड़कियों को प्रेरित करे और उन्हें जानकारी दे। "विरोध प्रदर्शनों के बाद मैंने यह फैसला किया और कुछ दिनों के बाद मैंने सीनियर्स के बारे में बातें सुननी शुरू कर दीं। लोग कहते थे, 'यह आदमी है' और 'वह ऐसा ही है'। 2012 में मेरा एक्सीडेंट हुआ था, जब तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण सिंह ने मुझे परेशान किया। मुझे पता था कि यह गलत है और मैंने सीधे तौर पर मना कर दिया, मैंने अपनी किताब में भी कहानी बताई है, वह समय मेरे लिए वाकई बहुत मुश्किल था।"
साक्षी ने इसलिए कदम उठाने का फैसला किया क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि महिला पहलवानों की आने वाली पीढ़ियां भी उन्हीं कठिनाइयों से गुजरें। उन्होंने अपने द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि समय के साथ कुछ बदलाव हुए, जिसमें सत्ता में बैठे कुछ लोगों को हटाना भी शामिल है। हालांकि, सुधार की लड़ाई जारी है और वह इस मुद्दे के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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