भारत को अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी समुदाय के सामने उस समय बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब प्रतिष्ठित डब्ल्यूएसपीएस पैरा विश्व कप ट्रैप स्पर्धाओं के फाइनल में ‘फ्लैश टारगेट’ को प्रतियोगिता के लिए उपयुक्त नहीं होने के कारण जूरी ने खारिज कर दिया।
डब्ल्यूएसपीएस पैरा निशानेबाजी विश्व कप भारत में होने वाला अपनी तरह का पहला आयोजन है। इस प्रतियोगिता से निशानेबाजों को पेरिस पैरालंपिक के लिए 20 कोटा मिलने का प्रावधान है।
Published: undefined
कर्णी सिंह निशानेबाजी परिसर में गुरुवार को संपन्न हुए इस आयोजन में 50 देशों के 250 से अधिक निशानेबाजों ने भाग लिया।
शॉटगन स्पर्धाओं के फाइनल में हालांकि ‘फ्लैश टारगेट’ अनिवार्य नहीं हैं लेकिन उनका उपयोग ओलंपिक, आईएसएसएफ विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप, महाद्वीपीय चैंपियनशिप और यहां तक कि भारत की राष्ट्रीय चैंपियनशिप और ट्रायल में भी किया जाता रहा है। इससे जूरी को निर्णय करने में आसानी होती है।
Published: undefined
‘फ्लैश टारगेट’ पर कारतूस लगने के बाद उससे गुलाबी रंग की पाउडर जैसी चीज हवा में उड़ती है। इससे जूरी के लिए फैसला करना आसान हो जाता है।
कर्णी सिंह रेंज के एक रेंज अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि निर्णायक मंडल गुस्से में थे और उन्होंने सभी ‘ फ्लैश टारगेट’ फेंकने वाली मशीनों को तुरंत खाली करने और सामान्य मिट्टी के टारगेट को इस्तेमाल करने का निर्देश दिया।’’
Published: undefined
रेंज अधिकारी ने कहा, ‘‘ वहां कुल 25-30 रेंज अधिकारी थे और जो भी लोग ट्रैप निशानेबाजी के बारे में कुछ जानते थे वे तुरंत हरकत में आए और हमने 10 मिनट में काम पूरा कर लिया। प्रतियोगिता समय पर शुरू हुई।’’
एक अन्य सूत्र ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय जूरी ‘गुस्से’ में थी लेकिन भारत पहली बार पैरा विश्व कप की मेजबानी कर रहा था, इसलिए उन्होंने शिकायत दर्ज नहीं की।’’
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined