टीम इंडिया ने अंडर-19 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ शानदार जीत हासिल की। भारतीय टीम ने सातवीं बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने का रिकॉर्ड कायम किया है। चार बार की चैंपियन टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका में खेले गए इस मैच में पाकिस्तान को 10 विकेट से करारी मात दी। इस मैच में सबसे खास बात यह रही की भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल ने विनिंग सिक्सर के साथ न सिर्फ टीम को जीत दिलाई बल्कि शानदार शतक भी पूरा किया। इस टूर्नामेंट में यशस्वी ने पांच मुकाबले खेले जिनमें उन्होंने 156 की औसत से सबसे ज्यादा रन बनाए, जिनमें तीन अर्धशतक और एक शानदार शतक शामिल है। वर्ल्ड कप के इस मैच के हीरो यशस्वी का यह सफर बेहद ही चुनौतीपूर्ण रहा है। आइए जानते हैं कि कौन हैं यशस्वी और वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचें के लिए उन्होंने किस तरह संघर्ष किया।
Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST
महज 10 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के भदोही से निकलकर क्रिकेट के बड़े दिग्गजों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए यशस्वी घर छोड़कर मुंबई आगए। पैसों की कमी से जूझने के बावजूद भी यशस्वी का टीम इंडिया के लिए खेलने का जज्बा कम नहीं हुआ। यशस्वी के पिता भदोही में ही एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। अपने छोटे बेटे के निर्णय पर पिता ने कोई आपत्ति तो नहीं जताई, लेकिन उसके सपने पूरे करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लेकिन कहते हैं न कि उड़ान भरने के लिए पंखों की नहीं बल्कि हौसलों की जरुरत पड़ती है। अपने हौसलों के दम पर ही यशस्वी दुनिया की नज़रों में अपनी पहचान बनाने के सफर पर निकल पड़े।
Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST
मुंबई पहुंचने के बाद यशस्वी को रहने की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। उनके टैलेंट को देखते हुए मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के मैनेजर संतोष ने वहां के मालिक से गुजारिश करके वहां के ग्राउंड्समैन के साथ यशस्वी के टेंट में रूकने की व्यवस्था करा दी।
यशस्वी ने काफी समय एक डेयरी में भी बिताया, लेकिन कुछ दिन बाद उसके मलिक ने उन्हें वहां से निकाल दिया था। अपने सपनों की उड़ान इतनी आसान नहीं थी। संघर्ष करते हुए यशस्वी राम लीला के बाहर पानी-पूरी बेचकर अपना गुजारा किया करते थे। उनके जीवन में कई दिन ऐसे भी आए जब उन्हें खाली पेट ही संतोष करना पड़ा।
Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST
सपनों को पूरा करने के लिए घर से दूर रहते हुए अपने परिवार को याद करते हुए यशस्वी रो पड़ते थे। यशस्वी के मुताबिक, 'राम लीला के दौरान मैं अच्छा कमा लेता था। लेकिन मैं प्रार्थना करता था कि टीम का कोई साथी पानी-पूरी खाने वहां न आ जाए। क्योंकि इससे उन्हें बुरा महसूस होता था।' यशस्वी कई बार अपनी टीम के साथियों से अपने पैसों से उन्हें नाश्ता कराने के लिए भी गुजारिश करते थे।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर और यशस्वी जयसवाल में अच्छी दोस्ती थी। एक बार अर्जुन ने यशस्वी की मुलाकात अपने पिता से करवाई थी। वे साल 2018 में यशस्वी को अपने घर ले गए और उन्हें सचिन तेंदुलकर से मिलवाया। जिसके बाद मास्टर ब्लास्टर भी उनके फैन हो गए। सचिन ने यशस्वी से प्रभावित होकर उन्हें अपना एक बल्ला उपहार स्वरुप दे दिया था।
Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST
साल 2019 में विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई की तरफ से खेलते हुए यशस्वी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एक दोहरे शतक सहित तीन शतकों की मदद से पांच मैचों में 500 से अधिक रन बनाए थे। झारखंड के खिलाफ 149 गेंदों में अपना पहला दोहरा शतक लगा कर वे यह कारनामा करने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र बल्लेबाज बने थे। इसके अलावा यशस्वी ने विजय हजारे ट्रॉफी की एक पारी में सबसे ज्यादा 12 छक्के लगाने का कीर्तिमान भी बनाया था।
Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST
इंडियन प्रीमियम लीग के 13वें संस्करण में यशस्वी जयसवाल को उनके बेस प्राइस से अधिक की रकम में खरीदा गया है। कोलकाता में हुई नीलामी में इस युवा बल्लेबाज को राजस्थान रॉयल्स ने दो करोड़ 40 लाख रुपये में ख़रीद लिया।
Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST
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Published: 04 Feb 2020, 10:29 PM IST