खेल

फीफा विश्व कप: 36 साल बाद मिले मौके को भुनाना चाहेगा पेरू, क्रोएशिया करना चाहेगा जीत से आगाज

लंबे समय बाद फुटबॉल महासमर में भाग ले रही पेरू की टीम फीफा विश्व कप 2018 के अपने शुरुआती मैच में डेनमार्क और उसके स्टार मिडफील्डर क्रिस्टियन एरिक्सन का सामना करेगी। दूसरा मुकाबला क्रोएशिया और नाइजीरिया के बीच होगा। 

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया  पेरू-डेनमार्क और क्रोएशिया-नाइजीरिया के बीच मुकाबला 

फुटबॉल विश्व कप के तीसरे दिन 2 अहम मुकाबले खेले जाएंगे। लंबे समय बाद लौटी पेरू की टीम फीफा विश्व कप 2018 के अपने शुरुआती मैच में डेनमार्क का सामना करेगी। वहीं दूसरा मुकाबला क्रोएशिया और नाइजीरिया के बीच खेला जाएगा।

पेरू और डेनमार्क

फीफा विश्व कप में 36 साल बाद वापसी कर रहा पेरू ग्रुप सी के अपने पहले मुकाबले में यूरोपीय देश डेनमार्क को हराकर टूर्नामेंट के 21वें संस्करण की सकारात्मक शुरुआत करना चाहेगा। मोडरेविया एरीना में देनों देशों के बीच फुटबाल का यह पहला मुकाबला होगा। पेरू ने आखिरी बार 1982 में हुए विश्व कप में हिस्सा लिया था और इतने वर्षो बाद एक बार फिर वह इस टूर्नामेंट के अहम पलों को जीने के लिए तैयार है।

कोनमेबोल में किसी तरह जद्दोजहद करते हुए 5वां स्थान हासिल करने के बाद पेरू ने विश्व कप क्वालीफायर के प्लेऑफ में न्यूजीलैंड को हराकर मुख्य टूर्नामेंट में 36 साल बाद प्रवेश किया। यह पल पेरू के लिए जश्न का पल रहा।

पेरू के लिए सबसे खुशी की बात उसके स्टार खिलाड़ी कप्तान पाउलो गुएरेरो का टीम में दोबरा शामिल होना है। प्रतिबंधित दवा के सेवन के आरोप के कारण गुएरेरो को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने से पहले उन्हें वापस टीम में शामिल कर लिया गया। वह राष्ट्रीय टीम के इतिहास में सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। टीम के अटैक की जिम्मेदारी फारवर्ड जेफरसन फारफान के कंधों पर होगी, जिन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए प्लेऑफ के मैच में गोल दागकर टीम को विश्व कप में प्रवेश हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, एडिसन फ्लोरेस और क्रिस्टियन कुएवा भी टीम के लिए अहम खिलाड़ी हैं।

दूसरी ओर, साल 1998 में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाली डेनमार्क इंग्लिश क्लब टोटेनहम हॉटस्पर से खेलने वाले स्टार मिडफील्डर क्रिस्टियन एरिक्सन के दम पर टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करना चाहेगी। कप्तान सिमोन काएर के नेतृत्व वाली डेनमार्क ने पिछले साल नवंबर में आयरलैंड को 5-1 से हराकर विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया है। कोच ओगे हेराइड की टीम के पास कैस्पर श्माइकल जैसा गोलकीपर तो वहीं आंद्रेस क्रिस्टेंसन जैसा डिफेंडर है जो आसानी से गेंद को अपने नियंत्रण में रख सकते हैं। इसके अलावा थोमस डेलने और विलियम क्वीस्त भी छह फुट लंबे खिलाड़ी हैं जिसका फायदा टीम को मिल सकता है। मिडफील्ड में विपक्षी टीमों को एरिक्सन के लंबे शॉट से बचकर रहना होगा।

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क्रोएशिया और नाइजीरिया

मिडफील्ड में मौजूद स्टार खिलाड़ियों के दम पर क्रोएशिया यहां कालिनिग्रेड स्टेडियम में सुपर ईग्लस के नाम से मशहूर नाइजीरिया के खिलाफ ग्रुप डी के अपने पहले मुकाबले में जीत दर्ज करना चाहेगा। साल 1998 में अपने पहले ही फीफा विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंचकर तीसरे स्थान पर रहने वाली क्रोएशियाई टीम के कोच ज्लाटको डालिक के मार्गदर्शन में टूर्नामेंट के 21वें संस्करण में भी बड़ा उलटफेर करने का माद्दा रखती है।

क्रोएशिया की सबसे बड़ी ताकत मिडफील्ड और फॉरवर्ड लाइन में मौजूद स्टार खिलाड़ी हैं। टीम के कई खिलाड़ी स्पेनिश क्लब रियल मेड्रिड एवं एफसी बार्सिलोना जैसे विश्व के शीर्ष क्लबों से खेलते हैं और उनका अनुभव क्रोएशिया को नॉकआउट स्तर तक पहुंचा सकता है। लुका मोड्रिक और इवान रेकिटिक टीम का केंद्र बिंदू होंगे। जबकि मटिओ कोवाचिक से भी क्रोएशिया के प्रशंसकों को दमदार प्रदर्शन की उम्मीद होगी। गोल दागने की जिम्मेदारी इटली लीग की मौजूदा चैम्पियन जुवेंतस से खेलने वाले मारियो मांजुकिक पर होगी, वह अपने देश के लिए 82 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 30 गोल कर चुके हैं। इवान पेरीसिक भी टीम की जीत में अहम योगदान दे सकते हैं।

टीम का डिफेंस हालांकि इस बार काफी कमजोर है। डेजान लोवरेन और वेद्रन कोलुर्का टीम में सबसे अनुभवी डिफेंडर हैं और उन्हें मैदान पर अधिक जिम्मेदारी से खेलना होगा।

दूसरी ओर, पिछले सात में से छह बार विश्व कप में हिस्सा ले चुकी नाइजीरिया में भले ही बड़े नाम न हो, लेकिन वह क्रोएिशया के लिए खतरा साबित हो सकती है। सुपर ईगल्स 2014 में अंतिम-16 तक पहुंचने में कामयाब रहे थे। तीन बार यह टीम अंतिम-16 में पहुंच पाई है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। विश्व कप के लिए भी क्वालीफाई करने में इस टीम को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। अल्जीरिया, जाम्बिया और कैमरून के सामने इस टीम ने बेहतरीन खेल दिखाया और 14 अंकों के साथ विश्व कप में जगह बनाई।

टीम के कोच गेर्नोट रोहर की समस्या उसका कमजोर डिफेंस है जो निरंतरता की कमी से जूझत रहा है। कोच ने टीम की जिम्मेदारी युवा कंधों पर दी है। उन्होंने कई अच्छे खिलाड़ियों को टीम से बाहर रख युवाओं पर भरोसा जताया है। एलेक्स इवोबी, केलेची इहेनाचो और नदिदी मैरी की तिगड़ी पर काफी कुछ निर्भर करेगा। इन तीनों को अच्छी सोच और टीम को मानसिक तौर पर भी मजबूत रखना पड़ेगा।

डिफेंस टीम की कमजोरी है और ऐसे में मजबूत गोलकीपर का न होना टीम को और परेशानी में डाल सकता है। जॉन ओबी मिकेल टीम के स्टार खिलाड़ी हैं और कप्तान रहते हुए उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उनके पास चैम्पियंस लीग, यूरोपा लीग और अफ्रीका कप ऑफ नेशंस का खिताब जीतने का अनुभव है। वह इस युवा टीम की रीढ़ की हड्डी कहे जा रहे हैं।

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