छत्तीसगढ़ में स्थानीय और पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में नई पहल की गई है। यहां इस साल से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन किया जाएगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
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बताया गया है कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में जहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कबड्डी, खो-खो लेकर टेनिस बाल क्रिकेट जैसे खेल प्रतियोगिताएं होंगी, तो वहीं इस ओलंपिक में बच्चों से लेकर सौ साल के बुजुर्ग भी बतौर प्रतिभागी हिस्सा ले सकेंगे। खास बात यह कि, यहां छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल में शामिल होने के लिए खिलाड़ी को छत्तीसगढ़ का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है।
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गौरतलब है कि भूपेश बघेल ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद छत्तीसगढ़िया संस्कृति और ग्रामीण परम्परा को आगे बढ़ाने की विशेष पहल की है। मुख्यमंत्री खुद भी अनेक मौकों पर पारंपरिक खेलों में हाथ आजमाते नजर आते हैं। उनके पारंपरिक खेलों के प्रति लगाव को भेंट-मुलाकात समेत उनके कार्यक्रम के दौरान बच्चों के बीच पहुंचकर भौंरा, कंचे (बांटी), गिल्ली-डंडा, पिट्ठुल खेलने से सामने आ जाता है।
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बताया गया है कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल-2022 में कबड्डी, खो-खो, गेड़ी, पिट्ठुल, व्हॉलीबाल, हॉकी और टेनिस बाल क्रिकेट को शामिल किया गया। इन खेलों के मुकाबले पुरूष और महिला दोनों श्रेणियों में होंगे। यह ओलंपिक खेल चार स्तरों ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तर पर होगा। राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन राजधानी रायपुर में किया जाएगा।
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प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों एवं 146 ब्लॉक स्तर पर होने वाले खेल आयोजन के लिए अलग-अलग कमेटियां गठित की जाएंगी। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कमेटियों के संयोजक सरपंच होंगे और ब्लॉक स्तर पर गठित कमेटियों के संयोजक विकासखंड अधिकारी होंगे। खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के भोजन, आवागमन एवं अन्य सुविधाओं के लिए ग्राम पंचायतों और विकासखण्डों के लिए बजट उपलब्ध कराया जाएगा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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