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फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने वाली पैरा एथलीट भाविना पटेल ने कहा- कड़ी मेहनत करने से कुछ भी असंभव नहीं

टोक्यो पैरालम्पिक में महिला टेबल टेनिस के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने वाली पैरा एथलीट भाविना पटेल ने कहा कि पैरा टेबल टेनिस में चीनी खिलाड़ी इतनी मजबूत हैं कि भाविना से हमेशा कहा गया कि उन्हें हराना असंभव है। लेकिन कड़ी मेहनत करने से कुछ भी असंभव नहीं है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

टोक्यो पैरालम्पिक में महिला टेबल टेनिस के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने वाली पैरा एथलीट भाविना पटेल का कहना है कि कड़ी मेहनत करने से कुछ भी असंभव नहीं है। पैरा टेबल टेनिस में चीनी खिलाड़ी इतनी मजबूत हैं कि भाविना से हमेशा कहा गया कि उन्हें हराना असंभव है।

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भाविना ने शनिवार को टोक्यो में पैरालंपिक खेलों के महिला एकल के क्लास 4 वर्ग के सेमीफाइनल में चीन की झांग मियाओ को हराने के बाद कहा, "मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अगर आप इसे अपना सर्वश्रेष्ठ शॉट देते हैं तो कुछ भी असंभव नहीं है और आज मैंने इसे किया।"

भाविना ने विश्व की नंबर 3 और 2016 रियो पैरालंपिक खेलों की रजत पदक विजेता मियाओ को 34 मिनट तक चले मुकाबले में 3-2 (7-11, 11-7, 11-4, 9-11, 11-8) से हराकर फाइनल में प्रवेश किया और भारत को पैरालंपिक खेलों में टेबल टेनिस में अपना पहला पदक पक्का किया।

भाविना ने कहा, "यह पहली बार है कि किसी भारतीय खिलाड़ी ने एक चीनी प्रतिद्वंद्वी को हराया है। यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। हर कोई मुझसे कहता था कि एक चीनी खिलाड़ी को हराना असंभव है। लेकिन आज मैंने साबित कर दिया है कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर आप इसे करना चाहते हैं तो सब कुछ संभव है।"

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उन्होंने देश के लोगों, भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई), भारतीय खेल प्राधिकरण (साई), अपने प्रायोजकों ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट (ओजीक्यू), ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन, अहमदाबाद (जहां उन्होंने टेबल टेनिस सीखा) और टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) को सहायता के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, "उनके समर्थन के कारण ही मैं आज इस मुकाम पर पहुंच पाई हूं। सभी का धन्यवाद।"

उन्होंने कहा, "मैंने कभी खुद को दिव्यांग नहीं माना। आज मैंने साबित कर दिया है कि कुछ भी असंभव नहीं है।"

गुजरात के अहमदाबाद में ईएसआईसी के लिए कार्यरत सरकारी कर्मचारी भाविना शनिवार को पैरालंपिक खेलों के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी बनीं।

उन्होंने कहा, "अगर मैं खेल के समान मानक को बनाए रखती हूं, तो मैं स्वर्ण पदक जीत सकती हूं, जब मैंने अपने पहले पैरालिंपिक में अपनी यात्रा शुरू की थी, तो मैंने इस स्तर तक पहुंचने की उम्मीद नहीं थी।"

भाविना ने ट्विटर पर भारत की पैरालंपिक समिति द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, "जब मैंने शुरूआत की थी तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस मुकाम पर पहुंचूंगी। मैं यहां हर खेल में अपना शत-प्रतिशत देने के उद्देश्य से आई हूं और मैंने अब तक यही किया है। अगर आप अपना 100 प्रतिशत किसी चीज को देते हैं, तब पदक आएंगे।"

फाइनल के बारे में पूछे जाने पर भाविना ने कहा कि वह चीन की झोउ यिंग से भिड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं, जिनसे वह टोक्यो में अपने शुरूआती मैच में हार गई थीं।

भाविना ने कहा, "मैं उस मैच के लिए मानसिक रूप से तैयार हूं। मैं उस मैच में भी अपना 100 प्रतिशत दूंगी।"

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