सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर फिलहाल सुनवाई करने से इनकार करते हुए तर्क दिया कि वह तभी सुनवाई करेगा जब देश में हिंसा बंद हो जाएगी। नागरिकता कानून को संवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि “इस समय बहुत हिंसा हो रही है। देश एक मुश्किल समय से गुजर रहा है। इस समय सारे प्रयास शांति लाने के होने चाहिए।"
गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता कानून का विरोध कर रहे छात्रों के साथ हुई पुलिस बर्बरता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया।
Published: 09 Jan 2020, 10:04 PM IST
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई नहीं करने के तर्क ने ट्विटर पर सक्रिय लोगों को निराश कर दिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर सक्रिय कई रचनात्मक लोगों ने इसको लेकर एक से बढ़कर एक व्यंग्यातमक ट्वीट करने शुरू कर दिए। कई सोशल मीडिया यूजर ने व्यंग्य करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का तर्क बिल्कुल ऐसा है, जैसे डॉक्टर किसी मरीज का इलाज करने से तब तक इनकार कर दे जब तक कि उसकी चोट से बहता खून अपने आप ही ना रुक जाए।
Published: 09 Jan 2020, 10:04 PM IST
गौरतलब है कि बीते साल दिसंबर में संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से अस्तित्व में आए संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे देश में लाखों लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध करने वालो का कहना है कि यह कानून भारत के संविधधान की मूल भावना के खिलाफ है, क्योंकि यह कानून साफ तौर से मुसलमानों के खिलाफ भेदबाव करता है।
Published: 09 Jan 2020, 10:04 PM IST
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Published: 09 Jan 2020, 10:04 PM IST