बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार इस नारे को दोहराते रहे हैं। महिलाओं को सम्मान और अधिकार देने के मुद्दे पर भी वे काफी मुखर नजर आते रहे हैं, खासतौर पर तीन तलाक पर चल रही बहस के दौरान यह देखा गया। ऐसे में पीएम और उनकी सरकार की मंशा पर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।
लेकिन रविवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में एक ऐसे व्यक्ति को मंत्री बनाकर जिसकी महिलाओं और देश के अल्पसंख्यकों के प्रति सोच काफी चिंताजनक और विवादास्पद रही है, मोदी ने अपने ही दावों और इरादों पर सवाल खड़ा कर दिया है।
रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में 9 नए मंत्रियों को शामिल किया गया। इनमें एक नाम कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट से सांसद अनंत कुमार हेगड़े का है, जिन्हें कौशल विकास राज्य मंत्री बनाया गया है। अपने विवादास्पद और अपमानजनक बयानों के लिए हेगड़े मीडिया और सोशल मीडिया में एक चर्चित चेहरा रहे हैं। मुस्लिम, इसाई और बौद्ध आदि देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ उनकी नफरत फैलाने वाली सोच उनके कुछ पुराने ट्वीट से जाहिर होती है।
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महिलाओं के प्रति भी हेगड़े साहब ने कई बार अपने विचार रखे हैं, जो उनकी दूषित मानसिकता का सबूत है। इसके अलावा विपक्षी नेताओं, खासकर महिला नेताओं के खिलाफ अपमानजनक और झूठी टिप्पणियां करने में भी वे काफी आगे रहे हैं। वे ममता बनर्जी और इंदिरा गांधी को सोशल मीडिया पर मुस्लिम नामों से संबोधित कर झूठ फैलाने की भी कोशिश कर चुके हैं। हेगड़े ने अपने ट्विटर पर ऐसे ट्विट शेयर किए, जिनमें छात्रों को रौंद देने की बात कही गई। एक महिला का अपने पुरुष साथी के साथ हंसना-बोलना हेगड़े को आपत्तिजनक लगा और उन्होंने उसकी फोटो को अपमानजनक टिप्पणी के साथ ट्वीट किया।
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हेगड़े की नफरत और हिंसा से भरी सोच सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं है। सार्वजनिक जीवन में भी वह कई बार अपनी इस सोच का प्रदर्शन कर चुके हैं। हाल ही में कर्नाटक के एक अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ मारपीट करते हुए उनका वीडियो मीडिया में आ चुका है। वीडियो में हेगड़े डॉक्टर को दबंगई से पीटते देखे जा सकते हैं।
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भारत जैसे विभिन्न संस्कृतियों वाले देश में कई धर्मों के खिलाफ नफरत भरी सोच रखने वाले व्यक्ति को मंत्री बनाया जाना चिंता पैदा करता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मंत्रिमंडल में किसे जगह देना है और किसे नहीं, ये प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी का अधिकार है। लेकिन भारत जैसे विभिन्न संस्कृतियों वाले देश में कई धर्मों के खिलाफ नफरत भरी सोच रखने वाले व्यक्ति को मंत्री बनाया जाना चिंता पैदा करता है और प्रधानमंत्री की सोच पर सवाल खड़े करता है। सरकार में शामिल होने वालों को यह शपथ दिलाई जाती है कि वह देश की एकता और अखंडता को हर हाल में बचाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि सार्वजनिक तौर पर संविधान के मूल विचारों के खिलाफ अपनी सोच जाहिर करने वाले को मंत्रिमंडल में जगह देकर पीएम मोदी कैसा भारत बनाना चाहते हैं।
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