क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे पहला अंतरराष्ट्रीय बेतार का तार यानी टेलीग्राम, 1872 में इंग्लैंड से मुंबई भेजा गया था? इंग्लैंड के दक्षिण पश्चिमी तट के छोर पर कॉर्नवॉल का एक छोटा सा गांव है, पोर्टकुन्थो । यह पुराने समय में जहाजरानी का जाना माना बंदरगाह और समुद्री डाकुओं का अड्डा हुआ करता था । जब इंग्लैंड ने अपना साम्राज्य फैलाया और समृद्धि बढ़ी तो विज्ञान की भी तरक्की होने लगी ।
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मॉर्स नामक वैज्ञानिक ने 1870 में मॉर्स कोड की ईजाद की जो बिना तार के ध्वनि तरंगों की मार्फत हवा की तरंगों से सूचनाएं दूर-दूर तक भेज सकता था । धीमे समुद्र तट का यह गांव नौसैनिक बेड़ों और सेना के लिये दूरसंचार के क्षेत्र में एक जाना माना नाम बनता चला गया । यहां आज भी इलाके के मशहूर टेलीग्राफ म्यूजियम में इंग्लैंड से मुंबई, जो तब इंग्लैंड का उपनिवेश था, सफलतापूर्वक मॉर्स कोड की मदद से बेतार का तार भेजे जाने का ब्योरा उपलब्ध है ।
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पहले और दूसरे विश्वयुद्धों के दौरान लगातार बमबारी के बीच भी खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान में यह छोटा सा गांव एक बड़ा रोल अदा करता रहा । नाजी जर्मनी की विशालकाय सेना की यूरोप में मचाई तबाही को रोकने में इसकी यूरोप और भारत की सेनाओं से निरंतर संवाद और इसके जांबाज नौसैनिकों का दुश्मन के दूरसंचार के केबल तोड़ने में बहुत कामयाब रहा था।
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