विज्ञान

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज बन सकता है हार्ट फेलियर का कारण, जानें क्या है जानकारों की राय

हार्ट फेलियर एक क्लिनिकल सिंड्रोम है, यह स्थिति तब आती है जब हृदय शरीर की मेटाबोलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शरीर में रक्‍त का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता।

फोटो: IANS
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तेजी से बदलते लाइफस्टाइल और लोगों की बदलती भोजन संबंधी आदतों को लेकर लोगों में कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही है। जिनमें से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का अनुपात सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। जिन मरीजों में यह दोनों ही समस्यााएं पाई जाती है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। 

हार्ट अटैक के संबंध में जानने के लिए आईएएनएस ने मेडिकल ट्रस्ट हॉस्पिटल कोच्चि के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सागी वी कुरुट्टुकुलम से बात की।

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हार्ट डिजीज के बारे में विस्‍तार से बात करते हुए डॉक्‍टर सागी वी कुरुट्टुकुलम ने बताया, ''हाल ही में हृदय संबंधी बीमारियों में इजाफा देखने को मिल रहा है। जिससे लोगों की कम उम्र में ही मौत हो रही है। हार्ट फेलियर का मतलब यह नहीं है कि आपका दिल रुकने वाला है। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आपकी हृदय की मांसपेशी शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर रही है।''

हार्ट फेलियर एक क्लिनिकल सिंड्रोम है, यह स्थिति तब आती है जब हृदय शरीर की मेटाबोलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शरीर में रक्‍त का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता।

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हार्ट फेलियर के कारणों के बारे में बात करते हुए कुरुट्टुकुलम ने कहा, ''हार्ट फेलियर के प्राथमिक कारणों में इस्केमिक हार्ट डिजीज, हाई ब्‍लड प्रेशर और डायबिटीज शामिल हैं। लगभग तीन-चौथाई हार्ट फेलियर के मरीज पहले से ही हाई ब्‍लड प्रेशर के शिकार होते हैं।''

उन्‍होंने कहा कि सामान्य ब्‍लड प्रेशर वाले लोगों की तुलना में हाई ब्‍लड प्रेशर वाले मरीजों में हार्ट फेलियर का खतरा दोगुना हो जाता है।

आगे कहा, ''हार्ट फेलियर के अन्‍य कारणों में कार्डियोमायोपैथी, टॉक्सिन (जैसे शराब और साइटोटॉक्सिक दवाएं), वाल्वुलर डिजीज और एरिथमिया शामिल हैं।

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हार्ट फेलियर के लक्षणों की बात करें तो इसमें सांस लेने में दिक्‍क्त, खांसी, घरघराहट, थकान, मतली, भूख न लगना, धड़कन का अचानक से बढ़ जाना शामिल है।

 हृदय को स्वस्थ रखने के उपाय बताते हुए कुरुट्टुकुलम ने कहा, ''अपने भोजन में नमक का सेवन कम करें। पके हुए, कच्चे, पैकेज्ड और नॉन-पैकेज्ड फूड से हो सके तो प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक लें। तरल पदार्थ का सेवन प्रतिदिन 1.5-2 लीटर तक सीमित रखें। वजन को कम करने पर काम करें। इसके साथ ही सप्ताह में 3-4 दिन कम से कम 20 मिनट का व्यायाम अपने लाइफस्‍टाइल में शामिल करें। धूम्रपान छोड़ने के अलावा शराब का सेवन सीमित करने के साथ तनाव को भी कम करने का काम करें।''

 उन्‍होंने कहा कि ये परिवर्तन जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ आपको हार्ट फेलियर के खतरे से भी बचाएंगे।

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