आखिरकार अंतरिक्ष से आ रहा एस्टेरॉयड 1998 OR2 धरती के बगल से गुजर गया, जिससे हमारी पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं हुआ और इसके साथ ही उन सारे कयासों पर पानी फिर गया जिसमें ये कहा जा रहा था कि यह उल्का पिंड तबाही लेकर आएगा। आपको बता दे ये एस्टेरॉयड बुधवार को भारतीय समयानुसार 3 बजकर 26 मिनट पर पृथ्वी से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से गुजरा है।दक्षिण अफ्रीका की ऑब्जर्वेटरी की ओर से इस खगोलीय घटना की पुष्टि भी की गई है। ऑब्जर्वेटरी की ओर से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि यह विनाशकारी उल्कापिंडों में से एक है, उसने इस बारे में एक वीडियो भी पोस्ट किया है।
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यहां आपको ये भी बता देते हैं कि अब यह Asteroid धरती से 1.8 मिलियन किलो मीटर की दूर चला गया है, हालांकि नासा समेत विश्व के सारे वैज्ञानिक इस उल्कापिंड के अध्ययन में जुट गए हैं, इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने ये भी जानकारी दी है कि अब 11 साल बाद यानी कि साल 2031 में एस्टेरॉयड 1998 OR2 धरती के करीब से गुजरेगा लेकिन उसकी दूरी 1.90 करोड़ किलोमीटर होगी। आपको बता दें कि यह हर 11 साल पर धरती के आसपास से गुजर जाता है। 2031 के बाद 2042, फिर 2068 और उसके बाद 2079 में यह धरती के बगल से निकलेगा।
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2079 में यह धरती के बेहद करीब से निकलेगा। उस समय इसकी दूरी अभी की दूरी से 3.5 गुना कम होगी। यानी अभी वह 63 लाख किलोमीटर की दूरी से निकला है। 2079 में वह 17.73 लाख किलोमीटर की दूरी से निकलेगा। यह इस एस्टेरॉयड की धरती से सबसे कम दूरी होगी।
एस्टेरॉयड 1998 OR2 का व्यास करीब 4 किलोमीटर है। इसकी गति करीब 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यानी करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेंकड। ये एक सामान्य रॉकेट की गति से करीब तीन गुना ज्यादा है। यह एस्टेरॉयड सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3.7 वर्ष लेता है। इसके बाद एस्टरॉयड 1998 OR2 का धरती की तरफ अगला चक्कर 18 मई 2031 को हो सकता है। तब यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है।
खगोलविदों के मुताबिक ऐसे एस्टेरॉयड का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं। लेकिन, किसी न किसी तरीके से ये पृथ्वी के किनारे से निकल जाते हैं।
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