विज्ञान

प्रदूषण का बच्चों पर बेहद पूरा असर, पीएम2.5 में मौजूद अमोनियम नाइट्रेट कमजोर कर रहा याददाश्त: अध्ययन

पूर्व के अध्ययनों में पाया गया था कि अमोनियम नाइट्रेट अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी उम्र संबंधी बीमारियों के खतरों को भी बढ़ाता है। इन दोनों रोगों से ग्रस्त होने पर अनुभूति और स्मृति प्रभावित होती है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

अमोनियम नाइट्रेट पीएम2.5 प्रदूषण का एक अहम तत्व होने के साथ-साथ कृषि उत्सर्जन का भी एक उत्पाद है जिसके बारे में पाया गया है कि यह बच्चों की सीखने की क्षमता के अलावा उनकी याददाश्त को भी विपरीत रूप से प्रभावित करता है। यह दावा एक नवीनतम अध्ययन में किया गया है।

यह रसायन तब बनता है जब कृषि गतिविधियों से निकलने वाली अमोनिया गैस जीवाश्म ईंधन को जलाने के बाद उत्पन्न होने वाले नाइट्रिक एसिड के साथ प्रतिक्रिया करती है।

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पूर्व के अध्ययनों में पाया गया था कि अमोनियम नाइट्रेट अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी उम्र संबंधी बीमारियों के खतरों को भी बढ़ाता है। इन दोनों रोगों से ग्रस्त होने पर अनुभूति और स्मृति प्रभावित होती है। अध्ययन के मुताबिक लंबे समय तक पीएम2.5 के संपर्क में रहने पर तंत्रिकातंत्र संबंधी बीमारी का खतरा रहता है।

वायु गुणवत्ता मापने का एक महत्वपूर्ण घटक पीएम2.5 है जो धूल, कालिख, कार्बनिक यौगिकों और धातुओं का मिश्रण है। पीएम2.5 के एक कण का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है। यह कण फेफड़ों में गहराई तक जाने के लिए जाना जाता है, जहां से यह रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकता है और फिर मस्तिष्क त पहुंच सकता है जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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वर्ष 2020 के एक अध्ययन में, अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूएससी) के अनुसंधानकर्ताओं वाली एक टीम ने पीएम2.5 पर समग्र रूप से गौर किया और पाया कि बच्चों के संज्ञानात्मकता पर इसका कोई संभावित प्रभाव नहीं है।

इस अध्ययन को भी उसी टीम द्वारा किया गया। यह अध्ययन ‘एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ, जिसमें पीएम2.5 बनाने वाले 15 रसायनों का विश्लेषण किया गया है। इस प्रकार अमोनियम नाइट्रेट एक ‘प्रमुख संभावित खतरे’ के रूप में उभरा।

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देश के विभिन्न इलाकों के 9-11 वर्ष की उम्र के लगभग 8,600 बच्चों के आवासीय पते के आधार पर अनुसंधानकर्ताओं ने पीएम2.5 के घटकों के संपर्क के वार्षिक स्तर का विश्लेषण करने के लिए ‘स्पेसियो-टेंपोरल मॉडल’ (देश-काल आधारित मॉडल) का उपयोग किया।

यूएससी में जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक मेगन हर्टिंग ने कहा कि सबसे मजबूत निष्कर्ष यह था कि अमोनियम नाइट्रेट कण सीखने की खराब क्षमता और खराब याददाश्त से जुड़े थे।

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इस अध्ययन से उन सबूतों को बल मिला है जिससे पता चला है कि पीएम 2.5 प्रदूषण सभी उम्र के लोगों की स्मृति और संज्ञानात्मक बोध के लिए हानिकारक है।

अनुसंधानपत्र को लिखने वालों ने लिखा, ‘‘मिश्रण मॉडलिंग ने पीएम2.5 के रासायनिक घटकों और बच्चों के संज्ञानात्मक प्रदर्शन (सभी तीन संज्ञानात्मक डोमेन में) के बीच संचयी नकारात्मक संबंधों का खुलासा किया जिनमें अमोनियम, नाइट्रेट, पोटेशियम, सिलिकॉन और कैल्शियम का सबसे बड़ा योगदान था।’’

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