नवजवीन को मिले सबूतों से साफ होता है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने प्रिय प्रोजेक्ट मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे को लागू करने वाले अपने विश्वसनीय आईएएस अधिकारी राधेश्याम मोपलवार को क्यों बचा रहे हैं। इस घोटाले के तार सीधे-सीधे बीजेपी शासित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस से जुड़े हुए हैं। इस समृद्धि एक्सप्रेस-वे को जल्द से जल्द बनाने के लिए किसानों से जोर-जबरदस्ती जमीन लेने संबंधी विवाद में जो भी कदम उठाए गए उसकी जानकारी मुख्यमंत्री को थी। इसका मतलब यह हुआ कि जो भी गड़बड़ियां हुईं या नियमों का उल्लंघन हुआ, देवेंद्र फडणवीस उसके बारे में पहले से जानते थे। इसलिए अब मुख्यमंत्री इस पूरे प्रकरण में अपनी भूमिका से बच नहीं सकते। यही वजह है कि राधेश्याम के कार्यों पर इतना हंगामा होने, प्रधानमंत्री कार्यालय से कार्रवाई किए जाने का आदेश आने के बावजूद राधेश्याम को देवेंद्र फणनवीस बचाते रहे। दबाव बढ़ने के बाद अगस्त में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास कॉर्पोरेशन (एमएसआरडीसी) के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पद से उन्हें हटा दिया गया। फिर भी मुख्यमंत्री इस अधिकारी के पक्ष में ही खड़े हैं और उनके खिलाफ लगाए गए तमाम आरोपों को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं।
Published: 28 Aug 2017, 11:53 AM IST
पिछले कुछ महीनों में समृद्धि एक्सप्रेस-वे ने महाराष्ट्र की राजधानी में उथल-पुथल मचाई हुई है। करीब 46,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना में 6 लेन हाई-वे बनाने के लिए किसी भी तरह से जमीन हासिल करने को लेकर शुरु हुआ यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस परियोजना के लिए राधेश्याम मोपलवार पर एक प्रॉपर्टी डीलर से रिश्वत के तौर पर पैसे मांगने का आरोप लगा। बातचीत का ऑडियो टेप सामने आने से महाराष्ट्र सरकार को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा। इस टेप की विश्वसनीयता की जांच के बाद सरकारी गलियारों में हड़कंप मच गया है।
इस अधिकारी पर लगे आरोपों का एक ऑडियो टेप सामने आया है। इस टेप में प्रॉपर्टी डीलर और आईएएस अधिकारी की बातचीत है, जिसमें किसी संपत्ति को लेकर लेन-देन की बात हो रही है। इस टेप में रिश्वत के पैसे का एक हिस्सा मंत्रालय तक पहुंचाने की बात भी कही जा रही है। मुख्यमंत्री फडणवीस की कैबिनेट में आवास मंत्री प्रकाश मेहता पर भी इस परियोजना से एक विशेष डेवलेपर को 600 करोड़ रुपये का फायदे पहुंचाने का आरोप लगा। विधानसभा में विपक्ष ने प्रकाश मेहता के इस्तीफे की जोरदार ढंग से मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ने मानने से इनकार कर दिया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस समृद्धि परियोजना को लेकर जबरदस्त उतावलेपन में नजर आ रहे हैं। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसकी एक वजह यह भी है कि नागपुर उनका विधानसभा क्षेत्र है। लिहाजा वह इसे जल्द से जल्द अमली जामा पहनाना चाहते हैं। इस परियोजना और उससे जुड़े विवादों पर नजर डालने से इस बात का पता चलता है कि इसकी जड़ें कितनी गहरी हैं और नागपुर से किस कदर जुड़ी हुई हैं।
फणनवीस सरकार को आए महज दो साल हुए हैं और समृद्धि परियोजना कई अड़चनों और विवादों में घिर गई है। अमरावती, औरंगाबाद और नासिक में किसान अपनी उपजाऊ जमीन सरकार को देने के लिए तैयार नहीं हैं। एमएसआरडीसी इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की नोडल एजेंसी है जो किसानों से जमीन लेने के तमाम हथकंडे अपना रही है। किसानों की जमीन नापने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल हो रहा है, जिसे कई जगहों पर किसान गिरा दे रहे हैं।
राधेश्याम मोपलवार के खिलाफ लंबे समय से वित्तीय गड़बड़ियां करने का आरोप लग रहा है। आयकर विभाग का सतर्कता आयोग आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी उनके खिलाफ छानबीन कर रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह करीब 800 करोड़ रुपये का है। दिसंबर 2016 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर तेलगी घोटाले (फर्जी स्टैंप पेपर घोटाले) में मोपलवार की भूमिका के बारे में जांच करने को कहा था।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे इस अधिकारी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री क्यों बचाते रहे और अभी भी बचा रहे हैं? शायद इसकी बड़ी वजह यह है कि इस भ्रष्टाचार की डोर सीधे फडणवीस तक पहुंच रही है।
Published: 28 Aug 2017, 11:53 AM IST
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Published: 28 Aug 2017, 11:53 AM IST