बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशंवत सिन्हा ने एक बार फिर वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोला है। इस बार निशाना सीधे गुजरात से साधा है, जहां अगले महीने विधानसभा चुनाव हैं और यहीं से अरुण जेटली राज्यसभा सांसद भी हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक सामाजिक संगठन ‘लोकशाही बचाओ आंदोलन’ के निमंत्रण पर यशवंत सिन्हा अहमदाबाद आए थे, और इसी मंच से उन्होंने अरुण जेटली पर निशाना साधा। मीडिया के सवालों के जबाव में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि बिना किसी तैयारी और पूरी तरह विचार किए ही जीएसटी को लागू कर दिया गया, इसलिए इस अच्छे टैक्स का कबाड़ा हो गया। उन्होंने कहा कि देश को जेटली से इस्तीफा मांगने का हक है कि वो वित्त मंत्री का पद छोड़ दे।
Published: 14 Nov 2017, 11:58 PM IST
एक सवाल के जवाब में यशवंत सिन्हा ने कहा कि, “हमारे फाइनेंस मिनिस्टर गुजरात के नहीं हैं, लेकिन राज्यसभा के लिए वो यहीं से चुने जाते हैं। वो गुजरात के लोगों पर बोझ हैं। अगर वो यहां से नहीं चुने जाते तो किसी गुजराती को मौका मिल सकता था।” उन्होंने कहा कि जेटली का एक ही सिद्धांत है कि ‘चित भी मेरी और पट भी मेरी। वो हर बात का क्रेडिट लेने की कोशिश करते हैं, और तो और जबकि कोई चीज सही ना भी हुई हो।’
इससे पहले यशवंत सिन्हा सिंतबर में भी जेटली पर हमले कर चुके हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखकर नोटबंदी और जीएसटी से होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद सरकार ने आनन-फानन एक दूसरे अंग्रेजी अखबार में यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा से लेख लिखवाया था। इस पर यशवंत सिन्हा ने कहा था कि कुछ लोग पिता-पुत्र में मतभेद कराने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा जब जेटली ने उनके लेख पर कटाक्ष किया था कि एक 80 साल का व्यक्ति नौकरी खोज रहा है, तो यशवंत सिन्हा ने पलटवार करते हुए जेटली पर तंज किया था कि ‘मैं कभी बैठकर भाषण नहीं देता।’ गौरतलब है कि पिछले बजट के दौरान अरुण जेटली ने संसद में बैठकर बजट भाषण पढ़ा था।
मीडिया ने जब यशवंत सिन्हा से जीएसटी में सिंगल टैक्स दर की राहुल गांधी की मांग की बात की और इस पर अरुण जेटली के बचकाना बयान का जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि, “जेटली इतिहास में जाएं। उन्होंने खुद कहा था कि वे एक सिंगल टैक्स स्ट्रक्चर की तरफ बढ़ रहे हैं।”
यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर नोटबंदी का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का जो मकसद बताया गया था, वो पूरा नहीं हुआ। क्या यह कालेधन के खिलाफ था, नकली नोटों के खिलाफ था या आतंकवाद के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि ये परेशानियां तो अब भी मौजूद हैं।
सिन्हा ने कहा, "साढ़े तीन साल के दौरान रुकी हुई परियोजनाओं में थोड़ी कमी आई है, लेकिन 17-18 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाएं अभी भी रुकी हैं। पुरानी परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ीं व कोई नई परियोजना नहीं लाई गई। करीब आठ लाख करोड़ रुपये का एनपीए जो अभी भी बना हुआ, उसे निपटाया जाना है। यूपीए सरकार की अंतिम तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी थी, जो कि वर्तमान की संशोधित गणना के अनुसार 6.5 फीसदी बैठती है। मौजूदा वृद्धि दर 5.7 फीसदी है, जो पुरानी पद्धति से गणना के अनुसार 3.5 फीसदी बैठती है।"
Published: 14 Nov 2017, 11:58 PM IST
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Published: 14 Nov 2017, 11:58 PM IST