कौन रहेगा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री और कौन बनेगा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री? उत्तर प्रदेश की राजनीति में यही दो सवाल हैं जिन पर सत्ता से लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जारी है। इन चर्चाओं की वजह भी है। हाल के दिनों में बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की टीम का लखनऊ दौरा, फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल्ली दौरा, इसके बाद बीजेपी संगठन में बदलाव और नई नियुक्तियां, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों के अलग-अलग तरह के बयान, और संगठन और सरकार के विरोधाभासी रुख।
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ताजा बयान या कहें कि मामला आया है योगी सरकार में श्रम मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का। मौर्य ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की अगुवाई कौन करेगा और बीजेपी के जीतने पर मुख्यमंत्री कौन होगा, यह अभी तय नहीं है और इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। मौर्य ने यह बात लखनऊ में रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
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हाल ही में यही बात यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी कही थी। बरेली में पत्रकारों से बातचीत में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि किसकी अगुवाई में विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा। लेकिन पिछले सप्ताह में एटा में एक पत्रकारों से बातचीत में उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा।
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यह तो रही हाल की बात। लेकिन यूपी बीजेपी में घमासान की खबरें तो काफी दिनों से सामने आ रही हैं। एक बात जो सबसे ज्यादा चर्चा में रही वह यह कि उत्तर प्रदेश बीजेपी में अंदरखाने जबरदस्त असंतोष है और कोविड प्रबंधन के बहाने पार्टी और सरकार के भीतर मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर नाराजगी है। लखनऊ से निकलकर ये बातें जब दिल्ली तक पहुंची तो, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के माथे पर भी चिंता की लकीरें गहराने लगीं क्योंकि अगले साल ही जनसंख्या के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य में विधानसभा चुनाव होना है। हालात को गहराई से समझने के लिए बीजेपी नेतृत्व ने तीन सदस्यी दल को लखनऊ भेजा। मकसद साफ था कि स्थिति की गंभीरता को समझा जाए और सीधे फीडबैक लिया जाए।
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सूत्रों के मुताबिक इस फीडबैक में जो बातें उभरकर आईं उनमें प्रमुख थी कि मुख्यमंत्री सभी को साथ लेकर नहीं चल रहे। सूत्रों का कहना है कि जो रिपोर्ट इस दल ने केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी उसमें गैर-ठाकुरों, खासतौर से ब्राह्मणों की नाराजगी का जिक्र है। बताया गया कि मुख्यमंत्री सांसदों और विधायकों की पहुंच से दूर हैं।
इस मामले की गंभीरता को समझते हुए ही संभवत: पिछले दिनों बीजेपी ने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कराया। वहीं ताजा घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी माने जाने वाले पूर्व आईएएस अफसर अरविंद शर्मा को यूपी बीजेपी का उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। इस तरह ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की गई।
लेकिन पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने फिर से उन चर्चाओं को हवा दे दी है कि यूपी बीजेपी में अभी बहुत कुछ होना बाकी है।
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