राजनीति

यूपी चुनावः अखिलेश से मिले जयंत, गठबंधन पर हुआ मंथन, डिप्टी सीएम पद पर फंसा पेंच!

सूत्रों के मुताबिक सपा और आरएलडी में सीटों को लेकर लगभग सहमति बन गई है, जिसके अनुसार आरएलडी 36 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि, पहले आरएलडी 50 सीटें मांग रही थी, जबकि सपा 30 से 32 सीटें देने को तैयार थी। अभी दोनों के बीच एक और दौर की बातचीत होगी।

फोटोः @jayantrld
फोटोः @jayantrld 

उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में इस बार समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के एक साथ मिलकर लड़ने की उम्मीदों को परवान देने की कवायद चल रही है। हालांकि दोनों गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं लेकिन अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। इस सिलसिले में आज आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की है और गठबंधन पर मंथन किया है।

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बैठक के बाद सपा प्रमुख अखिलेश ने जयंत चौधरी के साथ फोटो को ट्वीट करते हुए लिखा की जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर। उधर जयंत चौधरी ने भी अखिलेश के साथ फोटो ट्वीट करते हुए लिखा कि बढ़ते कदम। हालांकि अभी आधिकारिक रूप से दोनों पार्टियों की ओर से गठबंधन और सीट बंटवारे को लेकर कुछ भी तय होने की कोई सूचना नहीं मिली है। खबरों के अनुसार दोनों नेताओं की फिर एक बैठक होगी।

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फिलहाल दोनों दलों में गठबन्धन की बात कुछ आगे बढ़ी है, लेकिन कुछ मुद्दों पर पेंच फंसने की भी खबर है। सूत्रों की मानें तो आज की बैठक में जयंत ने डिप्टी सीएम का पद आरएलडी को दिए जाने की मांग अखिलेश के सामने रखी है। वहीं सूत्रों के मुताबिक सपा और आरएलडी में सीटों को लेकर लगभग सहमति बन गई है, जिसके अनुसार आरएलडी 36 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि, पहले आरएलडी 50 सीटें मांग रही थी, जबकि सपा 30 से 32 सीटें देने को तैयार थी।

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इसके अलावा सपा और आरएलडी के बीच मथुरा, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर आदि की कई विधानसभा सीटों पर पेंच फंसा है, जिन पर मंथन चल रहा है। दोनों ही दलों के इन सीटों पर अपने-अपने दावे हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा के करीब आधा दर्जन नेता आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो जयंत और अखिलेश के बीच एक और दौर की बातचीत होगी। इसके बाद दोनों नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं।

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वहीं आरएलडी के एक नेता ने बताया कि जयंत चौधरी अपना नफा-नुकसान देख कर ही कोई निर्णय लेंगे। क्योंकि चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पार्टी की बागडोर उन्ही के कंधों पर है। वह हर कदम बड़ा फूंक-फूंक रख रहे हैं। अभी वर्तमान के राजनीतिक परिदृश्य को भी भांप रहे हैं, क्योंकि कृषि कानून वापसी के बाद परिदृश्य बदल रहा है। इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। जो निर्णय होगा। बड़ा सधा होगा।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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