जम्मू-कश्मीर के विभाजन और आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद घाटी में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मोदी सरकार ने धारा 144 लागू करने के साथ ही इंटरनेट, मोबाइल और लैंडलाइन फोन सेवाओं पर पाबंदी लगा दिया था। लेकिन इस पाबंदी के दौरान एक बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है।
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खबर है कि राज्य में इंटरनेट और फोन सेवाओं पर रोक के बावजूद नजरबंद किये गए अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के घर पर इंटरनेट चल रहा था और उनका फोन भी काम कर रहा था। है। खबर है कि राज्य में पाबंदी के दौरान अलगाववादी नेता गिलानी के घर पर फोन और इंटरनेट सेवा 8 दिनों तक चालू थी। चूक सामने आने के बाद गिलानी का इंटरनेट कनेक्शन फिलहाल बंद कर दिया गया है।
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इंडिया टुडे की खबर के अनुसार प्रशासन को इस चूक की जानकारी तब तक नहीं हुई, जब तक गिलानी ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट नहीं किया। इसका खुलासा होने के बाद हरकत में आई सरकार केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने गिलानी समेत 8 लोगों का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड करने के लिए ट्विटर को पत्र लिखा है। इसके साथ ही इस चूक के लिए सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी बीएसएनएल के दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। अब इस बात की जांच की जा रही है कि जब इंटरनेट और फोन सेवा पर पूरी तरह रोक था तो ऐसे में गिलानी को इंटरनेट कैसे मिला।
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गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के साथ ही राज्य को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का ऐलान किया था। इससे एक दिन पहले 4 अगस्त को सरकार ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य में कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। इसी के तहत पूरी घाटी में मोबाइल, लैंडलाइन फोन और इंटरनेट समेत सभी संचार सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। इसी दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और फारुक अबदुल्ला के साथ ही कई शीर्ष नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।
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