कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार कोशिशों में जुटी हैं। चीन से आए वायरस के प्रकोप के कारण आम से खास तक की दिनचर्या बदल गई है। बिहार में तो कई पुराने रिवाज बदल गए और सियासतदानों के राजनीति करने के अंदाज और तौर-तरीके भी बदल गए हैं।
सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती कदमों का पालन करने के कारण सियासी दलों की राजनीति करने के तरीके ऐसे बदले कि उनकी सियासत ही सोशल मीडिया तक जाकर सीमित हो गई। देश और राज्य की सेवा करने के कथित उद्देश्य को लेकर राजनीति में आए अधिकांश नेता इस दौर में खुद को जनता से दूर कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
पहले जहां राजनीतिक दलों की ताकत उनकी रैलियों में जुटी भीड़ से लगाया जाता था, वहीं आज पांच लोगों का एक साथ घर से निकलना भी दूभर है। आज पार्टियां उपवास का आयोजन भी कर रही हैं तो उनके नेता अपने-अपने घर में बैठकर ही उपवास का कार्यक्रम कर रहे हैं और उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। इस दौर में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का साधन भी सोशल मीडिया ही बना हुआ है।
आरजेडी के मृत्युंजय तिवारी भी कहते हैं कि आज के दौर में यही उपाय है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आरजेडी ने अन्य प्रदेशों में फंसे मजदूरों को लाने की मांग को लेकर जो उपवास कार्यक्रम का आयोजन किया था, उसमें भी सभी नेता अपने घरों से ही उपवास कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
दिल्ली से लेकर पटना तक पार्टियां पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संपर्क के लिए सोशल मीडिया पर ही प्लेटफार्म बना रही हैं। सोशल मीडिया पर ही आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। राजनीतिक दल सोशल मीडिया के माध्यम से ही संगठन को धारदार बनाने और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के लिए बैठकें कर रहे हैं।
युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार भी मानते हैं कि इस दौर में पार्टी के नेताओं को कार्यकर्ताओं से सीधे मिलना मुश्किल हो रहा है। वे हालांकि यह भी कहते हैं कि दिल्ली से लेकर पटना तक के नेता वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिला के नेताओं और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से जुड़ रहे हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा, "हम फोन के माध्यम से ही जरूरतमंदों तक पहुंच रहे हैं और उनकी समस्या दूर कर रहे हैं।"
वहीं बीजेपी के मीडिया प्रभारी राकेश सिंह कहते हैं, "इस कोराना संक्रमण काल में पार्टी रचनात्मक और जीवंत है। पार्टी के अध्यक्ष से लेकर बूथ लेवल तक के कार्यकर्ता सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं। इस दौर में पार्टी की प्रदेश स्तर की कई बैठकें हो चुकी हैं। जिलास्तर पर भी बैठकें आयोजित की गई हैं।"
इन सबके बीच छोटी पार्टियां भी संगठन को धार देने के लिए सोशल मीडिया पर ही कवायद कर रही हैं। वंचित समाज पार्टी के चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ललित सिंह कहते हैं कि इस साल राज्य में चुनाव होना है। इस दौर में चुनावी तैयारी के लिए सोशल मीडिया का ही सहारा है। वह कहते हैं कि फोन और वीडियो कॉलिंग के जरिये ही संगठन को धार देने की कोशिश की जा रही है।
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