अगले चुनाव यानी 2019 में मोदी सरकार का जाना तय है, क्योंकि हाल के यूपी-बिहार और इससे पहले हुए उपचुनावों में जनता ने विपक्षी एकता पर मुहर लगा कर संदेश दे दिया है। यह कहना है शरद यादव का।
क्विंट के साथ बातचीत में जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने साफ कहा कि विपक्ष की एकता में अभी कुछ दिक्कते जरूर दिखती हैं, लेकिन 2019 के चुनाव से पहले इन्हें दूर कर लिया जाएगा। पिछले कुछ महीनों में अपने राजनीतिक जीवन के उथल-पुथल दौर से गुजर रहे शरद यादव ने कहा कि जनता तो मोदी सरकार को हटाने के लिए एकजुट हो चुकी है।
विपक्षी एकता के फॉर्मूले पर उन्होंने कहा कि अभी एकता के रास्ते में अंतर्विरोध और पेचीदगियां हैं, सभी पार्टियों के अपने हित हैं और प्रभाव वाले क्षेत्र हैं। लेकिन देश की राजनीतिक के मौजूदा हालात विपक्ष को एकता बनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। फूलपुर और गोरखपुर में विपक्ष की जीत पर उनका कहना है कि इससे विपक्ष का भरोसा बढ़ा है, और इस दिशा में और भी तेजी से काम हो रहा है।
शरद यादव ने कहा कि देश के मौजूदा खतरे को सभी पार्टियों ने समझा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का मुकाबला करने के लिए पूरे विपक्ष को एकसाथ आना ही होगा। उन्होंने जनता पार्टी के दौर की बात करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण ने इमरजेंसी के बाद चुनाव का ऐलान होते ही साफ कह दिया था कि सबको एक होना होगा, और अगर एकजुट नहीं होते, तो मुझे छोड़ दीजिए। उन्होंने कहा कि 1977 में पार्टियां कम थीं, इसलिए जल्द ही 3-4 दिन में सब एक हो गए थे, लेकिन आज पार्टियां ज्यादा हैं, इसलिए थोड़ा समय लगेगा।
एसपी-बीएसपी के एकसाथ आने के बारे में शरद यादव की राय है कि देश की जनता का संदेश साफ है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर, फूलपुर, अररिया, अलवर और अजमेर में बीजेपी की सीटें गंवाने का मतलब है कि हिंदी बेल्ट से संदेश साफ है। साथ ही उन्होंने कहा कि बंगाल में चुनौती है, लेकिन सभी पार्टियों के बीच विचार समान है और ऐसे में सभी तरह के रास्ते निकल आते हैं।
तीसरे मोर्चे की चर्चा के बारे में शरद यादव का मानना है कि ममता बनर्जी संघर्ष से निकली नेता हैं, उनकी चिंता भी हमारे जैसी ही है और वे भी विपक्ष की एकता में शामिल होंगी। उनका कहना है कि ममता बनर्जी भी एकजुटता चाहती हैं। टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू से भी चर्चा हुई है।
शरद यादव ने साफ कहा कि फिलहाल सभी पार्टियों में अंतर्विरोध है, लेकिन आखिर में रास्ता जरूर निकल आएगा। उन्होंने कहा कि हालात बेहद खराब हैं क्योंकि का मीडिया सरकार के साथ खड़ा हो गया है, और उलटे विपक्ष से सवाल पूछता है।
उन्होंने माना कि पहले की कांग्रेस और अभी की बीजेपी के बीच बहुत फर्क है। उन्होंने कहा कि बीजेपी एक संगठित गिरोह है, लेकिन विपक्ष की एकता के सामने बीजेपी को मुश्किलें आएंगी। उन्होंने तर्क दिया कि 2014 में बीजेपी को 31% वोट मिले थे, जबकि विपक्ष को 69% वोट मिले थे, इसमें 15% वोट ही अल्पसंख्यकों के हैं। इसका मतलब दो-तिहाई हिंदू वोटर भी पिछले चुनावों में बीजेपी के खिलाफ था। उन्होंने भरोसा जताया कि चुनाव के पहले विपक्ष की एकता पटरी पर आ जाएगी और चुनाव में मोदी सरकार की छुट्टी हो जाएगी।
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