राम मंदिर निर्माण को लेकर पीएम मोदी ने मंगलवार को एक इंटरव्यू अपनी सरकार का पक्ष रखा था। पीएम मोदी के बयान को पहले आरएसएस ने और अब वीएचपी ने आड़े हाथों लिया है। वीएचपी ने कहा है कि, “हिंदू समाज कोर्ट के फैसला का इंताजर नहीं कर सकता। राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अध्यदेश आखिरी रास्ता है।”
वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “मंदिर की लड़ाई को हिंदू समाज लंबे समय से लड़ रहा है, यह लोकतंत्र की लड़ाई है। संत समाज और जनता हमारे साथ है। हम मंदिर के लिए और इंतजार नहीं कर सकते और सरकार जल्द से जल्द इसपर कानून बनाए।” आलोक कुमार ने आगे कहा, “प्रयागराज के कुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान 31 जनवरी और 1 फरवरी को संत समाज मिलकर धर्म संसद में मंदिर के मुद्दे पर आगे की रणनीति पर फैसला करेगा।”
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वहीं राम मंदिर के निर्माण पर पीएम मोदी के पक्ष सामने आने का बाद आरएसएस ने उन्हें 1989 का प्रस्ताव याद दिलाया। आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, “नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए संविधान के दायरे में उपलब्ध सभी संभव प्रयास करने का वादा किया था। भारत की जनता ने उन पर विश्वास करते हुए बीजेपी को बहुमत दिया। इस सरकार के कार्यकाल में सरकार वह वादा पूर्ण करे ऐसी भारत की जनता की अपेक्षा है।”
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गौरतलब है कि मंगलवार को पीएम मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में राम मंदिर पर कहा, “पहले कानून प्रक्रिया पूरी होने दीजिए, उसके बाद अध्यादेश के बारे में विचार किया जाएगा।” बता दें कि मोदी सरकार का कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो रहा है।
बता दें कि राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 4 जनवरी को सुनवाई होनी है।
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