चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने पंचायत चुनावों में कामयाबी के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में शानदार वापसी की है। साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आरएलडी गुमनामी में डूब गई थी, मगर अब वह किसानों के आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के बाद अपनी खोई जमीन वापस हासिल करने की ओर बढ़ती दिख रही है।
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यूपी पंचायत चुनाव के अब तक घोषित परिणामों के अनुसार, मेरठ में जिला पंचायत में आरएलडी ने आठ सीटें हासिल की हैं, जबकि समाजवादी पार्टी (एसपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को यहां छह-छह सीटें मिली हैं। मुजफ्फरनगर, शामली, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और बिजनौर में भी आरएलडी ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
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मुजफ्फरनगर में आरएलडी को चार सीटें मिलीं, जबकि आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) को छह सीटें मिलीं। यहां बीजेपी ने 13 और बीएसपी ने तीन सीटें जीतीं। शामली में आरएलडी ने 19 में से 6 सीटें और बुलंदशहर में चार सीटों पर जीत दर्ज की। इसी तरह अलीगढ़ में आरएलडी ने दस, मथुरा में आठ और बागपत में नौ सीटें जीती हैं।
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आरएलडी के महासचिव अनिल दुबे ने कहा कि पंचायत चुनाव के परिणामों ने साबित कर दिया है कि अब इवेंट मैनेजमेंट बीजेपी को चुनाव जिताने में मदद नहीं कर सकता है। दुबे ने कहा, हमने अयोध्या में भी एक सीट जीती है, जिससे पता चलता है कि हमारी उपस्थिति अब पश्चिमी यूपी से परे भी है। किसानों के आंदोलन में पार्टी नेताओं की भूमिका ने पार्टी को पुनर्जीवित कर दिया है और अगला चुनाव (विधानसभा) गेम चेंजर बनने जा रहा है।
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