लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आने के बावजूद बीजेपी ने भले ही एनडीए के झंडे तले सरकार बना ली हो, लेकिन सरकार गठन के चंद दिन भी नहीं हुए हैं और बिहार से महाराष्ट्र तक एनडीए में खटपट उभर कर सामने आने लगी है। वहीं कई जगह बीजेपी की भी अंतर्कलह बाहर आने लगी है। एक तरफ जहां महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार की एनसीपी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं, वहीं, यूपी, बिहार और झारखंड में भी बीजेपी और एनडीए में सब ठीक नहीं है।
बात करें महाराष्ट्र की तो एनडीए के दो घटक दल एनसीपी और शिवसेना नाराज बताए जा रहे हैं। मोदी कैबिनेट में शिवसेना को एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मिला है। 7 सांसद होने के बावजूद कैबिनेट में जगह नहीं मिलने की वजह से शिवसेना नेता श्रीरंग बारणे ने नाराजगी जाहिर भी की है। श्रीरंग ने कहा कि एनडीए में जो पार्टियां 4- 5 सीटें जीती हैं उन्हें भी कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है। वहीं, हमने 7 सीटें जीती हैं लेकिन एक भी कैबिनेट पद नहीं दिया गया। शिवसेना के सांसद प्रतापराव जाधव को केंद्र सरकार में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। हालांकि, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने श्रीरंग बारणे के बयान का खंडन किया है और बिना शर्त मोदी सरकार को समर्थन की बात कही है।
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महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार की एनसीपी भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज है। बीजेपी की ओर से एनसीपी को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की पेशकश हुई थी मगर एनसीपी ने इसे ठुकरा दिया। एनसीपी कैबिनेट मंत्री से नीचे कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि एनसीपी प्रफुल्ल पटेल को केंद्र में भेजना चाहती थी। एनसीपी की नाराजगी की वजह यह भी है कि बिहार से जीतन राम मांझी को कैबिनेट में शामिल किया गया है जबकि उनकी पार्टी ने भी एक ही सीट जीती है। गौरतलब है कि एनसीपी ने महाराष्ट्र में 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर उन्हें जीत सिर्फ एक सीट पर मिली है।
एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने गुरुवार को राज्यसभा उपचुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। इससे एनसीपी में कई लोगों के नाराज होने की खबर है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने दावा किया कि वह इस नामांकन के लिए अपना दावा खारिज होने से नाराज नहीं हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि भुजबल अजित पवार के इस फैसले से खासा नाराज है। भुजबल ने पहले राज्यसभा सदस्य बनने की अपनी इच्छा के बारे में बताया था।
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राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने काराकाट से अपनी हार पर खुली नाराजगी जताई थी। चुनाव परिणाम के बाद 6 जून को पटना एयरपोर्ट पर उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से कहा था, “हारा हूं या हराया गया हूं। सबको मालूम है, सबको पता है सारी चीजें। चूक हुई या चूक करवाया गया ये सबको मालूम है। हमें खुलकर बोलने की जरूरत नहीं है। पवन सिंह फैक्टर बना या बनाया गया ये सबको पता है। हमको कुछ नहीं कहना है। सभी लोगों को पता है सब कुछ। अब किसी से इस बारे में बात करके क्या फायदा।” कुशवाहा बिहार के काराकाट से एनडीए उम्मीदवार थे मगर परिणाम सामने आने पर वह तीसरे स्थान पर रहे। काराकाट सीट से सीपीआईएमएल के राजा राम सिंह ने बाजी मारी। वहीं, निर्दलीय पवन सिंह दूसरे स्थान पर रहे।
इस चुनाव में बिहार में पिछली बार की तुलना में एनडीए को 9 सीटों का नुकसान हुआ है। जिसके बाद एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं होने की खबरें आने लगी हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अखबार में छपी एक खबर के साथ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं से करबद्ध निवेदन है कि ऐसी खबरों को पब्लिक डोमेन में जाने से रोकें-बचें क्योंकि इस तरह की खबरें आपस में कटुता बना-बढ़ा सकती है। आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति को जन्म दे सकती है। चुनाव परिणाम की समीक्षा अतिआवश्यक है परन्तु यह हमारा आंतरिक मामला है।” खबर में लिखा है कि बीजेपी को जेडीयू का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ।
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बिहार बीजेपी की बात करें तो गया से बीजेपी के दो बार सांसद रहे हरि मांझी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर कहा कि सम्राट चौधरी ने लोकसभा चुनाव में हेलीकॉप्टर से खूब प्रचार किया मगर वे अपनी जाति (कुशवाहा) के वोट भी पार्टी या गठबंधन को नहीं दिलवा सके। मांझी ने यहां तक कह दिया कि इसी कारण औरंगाबाद, काराकाट, बक्सर और आरा में बीजेपी और एनडीए को हार का सामना करना पड़ा।
हरि मांझी ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि उन्होंने चुनाव से पहले सम्राट चौधरी को कई बार फोन किए लेकिन उन्होंने बात नहीं की। इससे पहले एक पोस्ट में मांझी ने बिहार में बीजेपी का अध्यक्ष बदलने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि बिहार में जो भी अगला अध्यक्ष हो वो कम से कम हम जैसे कार्यकर्ताओं की सुध ले। वह अपनी क्षेत्र की बात रखने के लिए समय दे। ये सब चीजें सिर्फ घोर भाजपाई में ही मिल सकती है।
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है, जहां पार्टी केवल 33 सीटें जीत पाई है। एनडीए में शामिल निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद भी संत कबीरनगर से चुनाव हार गए। बेटे की हार पर संजय निषाद ने साफ कहा कि बीजेपी की वजह से मेरा बेटा चुनाव हार गया। यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि संविधान और आरक्षण बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। हम इन आरोपों का जवाब नहीं दे पाए।
झारखंड के गिरिडीह लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीतने वाले आजसू के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज हैं। उन्होंने साफ कहा कि एनडीए के घटक दलों की बैठक में सभी को उचित प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई थी मगर मोदी मंत्रिमंडल में आजसू को नजरअंदाज किया गया है। गठबंधन धर्म के तहत सभी दल को सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्टी स्तर पर हम इस मामले पर विचार कर आगे की रणनीति तय करेंगे। हालांकि, आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने अब तक इस पर खुलकर कुछ नहीं बोला है।
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