प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल की अपनी तीसरी बिहार यात्रा पर शनिवार को पटना पहुंचे। पीएम ने पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह कार्यक्रम में भाग लिया और राजधानी से 90 किमी दूर मोकामा में कई सड़कों और पुल निर्माण योजनाओं का शिलान्यास कियाा। पीएम मोदी के बिहार आने से बिहार बीजेपी में खासा उत्साह देखने को मिला। यह उत्साह राजधानी पटना में जगह-जगह लगाए गए पोस्टरों में भी देखने को मिला।
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार में शामिल बीजेपी पीएम के पटना आने से इस कदर उत्साहित थी कि उनके स्वागत में पटना के हर चौक-चौराहे पर लगाए गए पोस्टरों, बैनरों और होर्डिंग में, नीतीश कुमार को जगह देना ही भूल गई। सिर्फ नीतीश ही नहीं, पटना में मोदी के स्वागत में लगे पोस्टरों में एनडीए के अन्य किसी भी सहयोगी दल के नेताओं को जगह नहीं दी गई है। हालांकि बीजेपी के स्थानीय नेताओं का कहना है कि ये पोस्टर पार्टी के स्तर से नहीं लगाए गए हैं बल्कि पार्टी के नेताओं ने अपनी तरफ से लगाए हैं।
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
पीएम के कार्यक्रम से पहले ही ये बात पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई। बिहार में अभी इसी जुलाई में जेडीयू ने राजद-कांग्रेस के साथ जारी महागठबंधन को तोड़ बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई है। हालांकि जेडीयू की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन कई स्थानीय नेताओं ने दबे स्वर में स्वीकार किया है कि बीजेपी की ओर से लगाए गए पोस्टरों में नीतीश कुमार को जगह नहीं देना एक तरह से गठबंधन का अपमान है।
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
यही नहींं पटना के आज के कार्यक्रम में भी नीतीश को उस समय अपमान का घूंट पीना पड़ा जब पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने के उनके आग्रह को मोदी ने साफ अनसुना कर दिया। नीतीश ने पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने का आग्रह करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी पहले पीएम हैं, जो इस विश्वविद्यालय में शरीक हुए हैं।
लेकिन जब घोषणाओं की बारी आई तो मोदी ने पटना यूनिवर्सिटी समेत देश की 10 प्राइवेट और 10 सरकारी यूनिवर्सिटी को 10 हजार करोड़ रुपये देने का ऐलान तो किया, लेकिन सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग पर एक शब्द नहीं बोला। इससे नीतीश के चेहरे का रंग तो उड़ा ही पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों को भी भारी निराशा हुई। कई छात्रों ने कार्यक्रम के बाद इसके विरोध में नारेबाजी भी की।
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
हालांकि तकनीकी रूप से देखा जाए तो नीतीश कुमार की यह बात सही नहीं है। क्योंकि आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पटना यूनिवर्सिटी में आ चुके हैं। इस बारे में बताते हुए मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पटना यूनिवर्सिटी में फारसी विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके पद्मश्री प्रो. (कैप्टन) शरफे आलम ने बताया कि देश के बंटवारे के बाद पूर्वी बंगाल के नोआखाली में हुए भीषण दंगों के दौरान पंडित नेहरू बिहार की राजधानी पटना आए थे। जहां उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी के व्हीलर सीनेट हॉल में पटना के बुद्धीजीवियों को संबोधित किया था। प्रो. आलम कहते हैं, ‘हालांकि, यह बात सही है कि वह पटना विश्वविद्यालय का कार्यक्रम नहीं था। लेकिन पटना विश्वविद्यालय की जमीन पर कदम रखने वाले पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ही थे।’
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
बिहार में भले ही जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार हो, लेकिन दोनों पार्टियों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ये पहला मामला नहीं है जब सरकार बनने के बाद जेडीयू के लिए बीजेपी ने असहज स्थिति खड़ी कर दी हो। इससे पहले अगस्त में हुए केंद्रिय मंत्रिमंडल के फेरबदल में भी जेडीयू को एक तरह से अपमानित होना पड़ा था। पटना से दिल्ली तक में कई ऐसे नामों की चर्चा थी जिनका जेडीयू की ओर से केंद्रिय मंत्रिमंडल में शामिल होना तय माना जा रहा था। कैबिनेट विस्तार के ठीक एक दिन पहले तक जेडीयू के प्रवक्ता भी दावा कर रहे थे कि जेडीयू का केंद्र सरकार में शामिल होना तय है।
लेकिन हुआ कुछ ऐसा कि जेडीयू में सन्नाटा सा छा गया। कैबिनेट विस्तार तय समय पर तो हुआ लेकिन जेडीयू को कोई जगह नहीं मिली। इसके बाद चर्चाओं का बाजार पटना से दिल्ली तक गर्म हो गया। भले ही नीतीश समेत जेडीयू के सभी बड़े नेताओं ने इस मामले पर चुप ही रहना बेहतर समझा। लेकिन कई छोटे नेताओं के बयानों ने एक तरह से जेडीयू की पीड़ा को सबके सामने ला दिया। कई नेताओं ने दबे-सहमे स्वरों में इसे गठबंधन सहित नीतीश कुमार का भी अपमान बताया।
दोनों पार्टियों के बीच अपमान-तिरस्कार की राजनीति की कहानी बस इतनी नहीं है। बीजेपी के साथ सरकार बनाते समय जेडीयू को उम्मीद थी कि अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जरूर मिल जाएगा। लेकिन यहां भी जेडीयू को बीजेपी से झटका ही मिला। इस विवाद को उस समय और हवा मिला जब हाल ही में बाढ़ के हालात का जायजा लेने बिहार दौरे पर गए पीएम ने महज 500 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया। कई जेडीयू नेताओं ने इस मदद को ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर बताया। जेडीयू के कई राज्य स्तर के नेताओं ने तो उस समय बीजेपी को काफी भला-बुरा कहते हुए वादाखिलाफी का भी आरोप लगाया था।
दोनों दलों के बीच विवादों की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती है। अगस्त में भी जदयू-बीजेपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चलने का संकेत मिला था। दरअसल बीजेपी ने तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था। लेकिन जदयू ने सहयोगी दल के इस कार्यक्रम से अपना पल्ला झाड़ लिया था क्योंकि उन्हें इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। यही नहीं जेडीयू ने बीजेपी के कार्यक्रम के जवाब में 15 अगस्त को पंचायत स्तर पर अलग कार्यक्रम आयोजित करने का भी फैसला किया था और कहा था कि पार्टी कार्यकर्ता अपने घरों पर तिरंगा फहराएंगे। उस समय बिहार जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा था कि हम मानते हैं कि तिरंगे का सबसे बड़ा सम्मान देश का विकास और जनता की सेवा है, इसलिए बीजेपी की तिरंगा यात्रा से हमारा कोई संबंध नही है। ।
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
हालांकि इन तमाम विवादों और अपमानों की चर्चा के बावजूद शनिवार को जब मोदी पटना पहुंचे तो एयरपोर्ट पर सीएम नीतीश कुमार ने उनका जोरदार स्वागत किया। नीतीश ने राज्यपाल के साथ पीएम को फूलों को गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया। इसके बाद दोनों वहां से पटना यूनिवर्सिटी शताब्दी समारोह में शामिल के लिए रवाना हो गए।
फिलहाल पीएम पटना दौरे से लौट चुके हैं। लेकिन अपने छोटे से दौरे से उन्होंने पटना से लेकर दिल्ली तक कई सवाल खड़े कर दिये हैं। अब आने वाले दिनों में ही पता चलेगा कि दोनों नेताओं और दोनों पार्टियों की राजनीति क्या होती है। लेकिन पिछली कुछ घटनाओं को देखकर तो यही लग रहा है कि बीजेपी के साथ गठबंधन में नीतीश का कद छोटा कर दिया गया है। अब तो ये भी कहा जाने लगा है कि बीजेपी ने नीतीश को फिलहाल पोस्टर से गायब किया है, कहीं आने वाले दिनों में उन्हें बिहार से ही न गायब कर दे।
Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST
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Published: 14 Oct 2017, 5:38 PM IST