राजनीति

लोकतंत्र के पन्ने: आरएसएस के गढ़ नागपुर में बीजेपी से ज्यादा बार लहराया कांग्रेस का परचम

महाराष्ट्र की उपराजधानी और विदर्भ का सबसे प्रमुख शहर नागपुर वैसे तो राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का गढ़ है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। फिलहाल यहां से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सांसद हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

संतरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध नागपुर में भी पहले चरण में ही लोकसभा के लिए वोट डाले जाएंगे। महाराष्ट्र के तीसरे सबसे बड़े शहर नागपुर की स्थापना 1703 ईं. में देवगढ़ (छिंदवाड़ा) के गोंड राजा बख्त बुलंद शाह ने की थी। नाग नदी के नाम पर इस शहर का नाम नागपुर पड़ा। नागपुर शहर संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की दीक्षा भूमि भी है। यही पर 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। तब से यह स्थान बौद्ध तीर्थस्थल के तौर पर जाना जाता है।

महाराष्ट्र की उपराजधानी और विदर्भ का सबसे प्रमुख शहर नागपुर वैसे तो राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का गढ़ है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। फिलहाल यहां से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सांसद हैं। गडकरी ने 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चार बार के सांसद विलास मुत्तेमवार को हराया था।

नागपुर लोकसभा सीट का इतिहास

पहले आम चुनाव के साथ ही नागपुर लोकसभा सीट भी आस्तित्व में आई थी। कांग्रेस की अनुसूया बाई काले यहां की पहली सांसद बनीं। वो 1956 के दूसरे लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं। हालांकि 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा। निर्दलीय श्रीहरि अणे चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। लेकिन 1967 के आम चुनाव में नरेंद्र देवघर कांग्रेस को वापस सीट दिलाने में सफल रहे।

लेकिन 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी के जामबुवंत धोटे जीतने में कामयाब रहे। तो वहीं 1977 के लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई। धोटे को कांग्रेस के गेव मनचरसा अवरी ने चुनाव में हरा दिया। इसके बाद जामबुवंत धोटे कांग्रेस में शामिल हो गए और 1980 के लोकसभा चुनाव में जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद एक बार फिर वो कांग्रेस से अलग हो गए। 1984 के लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई। उन्हें कांग्रेस के बनवारी लाल पुरोहित ने हराया। 1989 में भी बनवारी लाल पुरोहित कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। लेकिन इसके बाद वो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। उनकी जगह कांग्रेस ने दत्ता मेघे को टिकट दिया। दत्ता मेघे के हाथों बनवारी लाल पुरोहित की हार हुई। हालांकि, 1996 में बनवारी लाल पुरोहित ने दोबारा लोकसभा में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और वो जीतने में कामयाब रहे।

इसके बाद अगले चार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। 1998, 1999, 2004, 2009 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार ने पार्टी को जीत दिलवाई। हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करड़ा पड़ा। बीजेपी के नितिन गडकरी ने विलास मुत्तेमवार को हराया और मोदी सरकरा में मंत्री बने।

इस चुनाव में कांग्रेस ने नागपुर सीट से नानाभाऊ पटोले को उतारा है जो संभाव‍ित बीजेपी प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री न‍ित‍िन गडकरी से मुकाबला करेंगे। ये वही नाना पटोले हैं ज‍िन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यवहार से नाराज होकर सांसद पद से इस्तीफा द‍िया था और बाद में कांग्रेस में शाम‍िल हो गए थे।

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