दो दशकों से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के लिए आगे की राह आसान नहीं है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले पार्टी में असंतोष और आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। राज्य की के राजनीतिक को करीब से जानने वाले जानकारों की मानें तो बीजेपी 2003 से सत्ता में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान कभी इतनी असंगठित और नीरस नहीं दिखी, न ही मुख्यमंत्री चौहान इतने कमजोर दिखे। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बीजेपी में असंतोष के स्वर बुलंद होते जा रहे हैं। वर्षों से चली आ रही गुटबाजी अब सतह पर आ रही है। पार्टी अब इस असंतोष को दबाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। वह अपने नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे रही है।
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राज्य शासन द्वारा लगातार विभिन्न बोर्ड और निगमों के पदाधिकारियों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा रहा है। उसी क्रम में मध्यप्रदेश कुश कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह एवं मध्यप्रदेश तेल घानी बोर्ड के अध्यक्ष रविकरण साहू को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है।
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इसी प्रकार एक अन्य आदेश में अध्यक्ष राज्य स्तरीय दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम समिति रामपाल सिंह को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। ज्ञात हो कि राज्य में लंबे अरसे से शिवराज मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चाएं चल रही हैं। वर्तमान में चार मंत्रियों के पद रिक्त हैं और इसे भरने के भी प्रयास जारी हैं।
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संभावना जताई जा रही है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होने वाला है। कई विधायक ऐसे हैं जो पूर्व मंत्री रह चुके हैं और उनकी दावेदारी भी बढ़ सकती है। लिहाजा इन दावेदारों को पहले ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा रहा है, ताकि अन्य को समायोजित करने में कोई दिक्कत न आए।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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