महाराष्ट्र में जो भी कुछ हुआ उसे बीजेपी की बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है। इस हार ने उसके दो बड़े नेताओं के समझ पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि 79 साल के शरद पवार ने भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह को जबरदस्त तरीके से मात दी है। उनके राजनीतिक अनुभव और चातुर्य का ही कमाल था कि महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना की एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार के गठन का रास्ता हुआ।
Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जैसे ही कहा कि बुधवार शाम 5 बजे तक देवेंद्र फडणवीस को बहुमत सिद्ध करना होगा तो बीजेपी को सांप सूंघ गया। फैसले के कुछ ही देर बाद पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस्तीफा दिया। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस को भी इस्तीफा देना पड़ा। महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र में सिर्फ शरद पवार ही पवार थे। ये लड़ाई सीधे मोदी-शाह के खिलाफ थी। और इस लड़ाई में पवार के पावर के आगे मोदी-शाह की जोड़ी की मात हुई।
Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST
कहा जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम को बीजेपी आलाकमान टीवी पर दिल्ली में लाइव देख रहा था। इससे कुछ घंटे पहले, पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसद भवन स्थित पीएम के ऑफिस में बैठक की थी। जनसत्ता की खबर के मुताबिक, बीजेपी नेता महाराष्ट्र में बहुमत साबित करने को लेकर आश्वस्त थे, उन्हें इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन वे जानते थे कि ‘कुछ भी मुमकिन है।’
Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र में जो भी कुछ हुआ उससे पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है। ये सिर्फ सत्ता से हाथ धोने भर की बात नहीं है बल्कि यह बीते 18 महीने में पार्टी की छवि पर लगा दूसरा बड़ा आघात है। दरअसल, कर्नाटक में तो सीएम बीएस येदियुरप्पा को शपथ लेने के तीन दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था। हालांकि, महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ, उस पचड़े में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भी दफ्तर लपेटे में आ गया। बता दें कि प्रधानमंत्री को मिले विशेष अधिकार का ही इस्तेमाल करके महाराष्ट्र में तड़के राष्ट्रपति शासन हटाया गया और सुबह-सुबह फडणवीस और अजीत पवार के शपथ ग्रहण का रास्ता साफ हो सका।
Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST
जनसत्ता के अनुसार कुछ बीजेपी लीडर्स का मानना है कि शायद बीजेपी इस मामले में ‘ओवर कॉन्फिडेंस’ में थी। पिछले गुरुवार तक, जब उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के साथ अपनी बातचीत को आगे बढ़ा रहे थे, उस वक्त तक भी बीजेपी लीडरशिप को भरोसा था कि शिवसेना वैचारिक तौर पर समान बीजेपी से रिश्ते नहीं तोड़ेगी। शिवसेना सार्वजनिक तौर पर बीजेपी पर निशान साध रही थी, लेकिन बीजेपी नेताओं को लग रहा था कि यह ‘मातोश्री के बेअसर हो रहे दबदबे को दोबारा कायम करने की कोशिश है और ठाकरे निवास पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का एक दौरा इस गतिरोध को खत्म कर देगा।’
Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST
लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी को महराष्ट्र में एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा। उनके इस हार को बीजेपी के कई सीनियर नेताओं ने माना कि महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम से न केवल ‘पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है, बल्कि इसकी वजह से पार्टी की विश्वसनीयता और पीएम की छवि को भी धक्का लगा है। साथ ही इससे यह इशारा गया कि बीजेपी सत्ता लोलुप पार्टी है।’ तीन दिन पहले जिस कदम को बीजेपी के रणनीतिकार ‘मास्टरस्ट्रोक’ बता रहे थे, अब वो पार्टी के लिए घाव साबित हुआ है। बीजेपी के एक सांसद ने माना कि महाराष्ट्र में शिवसेना के रिश्ते तोड़ने और विरोधी पार्टियों के साथ जाने के बाद लोगों के मन में बीजेपी के प्रति इस बात को लेकर हमदर्दी थी। हालांकि, शनिवार के बाद से जो कुछ हुआ, उसने इस हमदर्दी को पूरी तरह खत्म कर दिया। सांसद के मुताबिक, पार्टी सबसे बड़ी लूजर बनकर उभरी है।।
Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST
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Published: 27 Nov 2019, 12:57 PM IST