मध्य प्रदेश के दमोह विधानसभा के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी हार ने राज्य में सियासी हलचल पैदा कर दी है। इस हार के बाद पार्टी कारणों को तो खोज ही रही है, पर साथ ही अपने भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में दमोह से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और राहुल लोधी निर्वाचित हुए थे। उन्होंने लगातार छह बार जीतकर दर्ज करने वाले जयंत मलैया को शिकस्त दी थी।
लेकिन दल बदल करने वाले राहुल लोधी इस बार फिर उपचुनाव में मैदान में उतरे, मगर इस बार उम्मीदवार बीजेपी के तौर पर थे और उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन के सामने हार का सामना करना पड़ा। हार काफी बड़ी है। वह 17 हजार से ज्यादा वोटों से हारे हैं । इस चुनाव को जीतने के लिए पार्टी संगठन और सरकार ने पूरा जोर लगाया था, उसके बावजूद बीजेपी के खाते में हार आई है।
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दमोह से बीजेपी के लिए बड़े दावेदार पूर्व मंत्री जयंत मलैया थे और वे विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ना चाह रहे थे। मलैया ने राहुल को उम्मीदवार बनाए जाने पर शुरू में नाराजगी भी जताई, मगर पार्टी की समझाइश पर वह मान गए और चुनाव प्रचार में भी लग गए। पार्टी को हमेशा इस बात की आशंका रही कि जयंत मलैया पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में कितना काम करेंगे। वहीं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का कथित तौर पर रामायण के प्रसंग से जोड़कर एक बयान आया और इस बयान से एक जाति विशेष में नाराजगी भी फैल गई।
पार्टी के प्रदेश संगठन को इस बात की जानकारी थी कि राहुल लोधी को लेकर दमोह क्षेत्र में जबरदस्त नाराजगी है । यही कारण रहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने और संगठन के कई पदाधिकारियों ने दमोह में डेरा डाल दिया। लगातार एक पखवाड़े तक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और अन्य नेताओं ने विभिन्न लोगों से अलग-अलग मुलाकात की । इस दौरान लोगों ने राहुल लोधी के खिलाफ खुलकर नाराजगी जताई।
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सामाजिक जगत से जुड़े लोगों ने तो यहां तक कहा कि वे बीजेपी से नाराज नहीं हैं, मगर राहुल लोधी को सबक सिखाना चाहते हैं और दमोह का बड़ा वर्ग भी ऐसा ही चाहता है। इसके बावजूद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने लोगों को समझाने की कोशिश की कि वे पार्टी का साथ दें। कुछ लोग सहमत भी हुए मगर असहमत लोगों की संख्या बड़ी थी।
चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी उम्मीदवार राहुल लोधी ने भी खुलकर पूर्व मंत्री जयंत मलैया पर और अन्य नेताओं पर आरोप लगाए हैं और कहा है कि भितरघात के चलते ही चुनाव हारे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन्हें प्रभारी बनाया गया था शहर का, उनके वार्ड में भी बीजेपी हार गई। उनका यह इशारा सीधा जयंत मलैया पर था।
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राज्य के गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्रा ने भी पार्टी की हार के लिए पार्टी के ही नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा दमोह नहीं हारे हैं हम, छले गए छलछन्दों से। इस बार लड़ाई हारे हैं हम, अपने घर के जयचंदों से। दमोह की जीत पर कांग्रेस ज्यादा खुशी नहीं मनाए। कमल नाथ को पूरे देश में कांग्रेस का जो सफाया हुआ है, उस पर भी चिंतन करना चाहिए।
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने दमोह की हार पर कहा कि दमोह उपचुनाव में हम जनमत को स्वीकार करते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन को बधाई। हमारे कार्यकर्ताओं ने दमोह उपचुनाव में बूथ तक अनथक परिश्रम किया। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। हमें परिणाम से हतोत्साहित नहीं होना है बल्कि संगठन को और मजबूत करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ना है। साथ ही दमोह के स्थानीय कार्यकतार्ओं के साथ बैठकर गहराई से असफलताओं के कारणों की समीक्षा की जाएगी।
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दमोह में कांग्रेस को मिली सफलता पर प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का कहना है कि जीत आखिर सच की ही हुई। दमोह उपचुनाव के परिणाम से प्रदेश से बीजेपी की उल्टी गिनती की शुरूआत हो गयी है। बीजेपी की जनता से पहले चुनाव को प्राथमिकता की नीति और सोच को जनता ने इस परिणाम से कड़ा सबक सिखा दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के उम्मीदवारी के फैसले को वहां की जनता ने नकारा है, यह राजनीतिक दलों के लिए सबक है कि आप जिसे चाहें उम्मीदवार बनाकर चुनाव नहीं जिता सकते। राहुल लोधी के दल-बदल से पहले दिए गए बयानों का जवाब चुनाव के दौरान न तो राहुल दे पाए और न ही बीजेपी। राहुल के खिलाफ जैसी नाराजगी लोगों में थी वैसी कम ही देखने को मिलती है। इसके साथ ही बीजेपी के कई नेताओं के बयान और भितरघात ने भी हार के रास्ते को आगे बढ़ाया।
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