बिहार का जमुई ऐतिहासिक रूप से भी काफी प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने इसी जिले के उज्जिहवलिया नदी के तट पर स्थित जूम्भिकग्राम में दिव्य ज्ञान प्राप्त किया था। जमुई लोकसभा सीट तीन जिलों जमुई, मुंगेर और शेखपुरा के कुछ इलकों को मिलाकर बना है। जमुई लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आया। 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी। 1967 में भी जमुई लोकसभा सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा। हालांकि 1971 के चुनाव में सीपीआई के भोला मांझी यहां से सांसद बने। उसके बाद इस क्षेत्र के इलकों को कई अलग-अलग सीटों पर शामिल किया गया। इसके बाद 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में जमुई सीट फिर से अस्तित्व में आई। 2009 के चुनाव में जेडीयू के भूदेव चौधरी ने आरजेडी के श्याम रजक को 30 हजार वोटों से हराया। 2014 के चुनाव में बीजेपी की सहयोगी एलजेपी के चिराग पासवान ने आरजेडी के सुधांशु शेखर भास्कर को हराया और पहली बार सांसद बने। जमुई लोकसभा सीट सुरक्षित सीट है।
2014 के लोकसभा चुनाव में जमुई सीट से एलजेपी उम्मीदवार और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और आरजेडी उम्मीदवार सुधांशु शेखर भास्कर को 85,947 मतों से पराजित किया था। एक्टिंग छोड़ सियासत में उतरे चिराग पासवान को 2,85,352 वोट मिले, जबकि आरजेडी के सुधांशु शेखर भास्कर को 1,99,407 वोट। वहीं जेडीयू उम्मीदवार तथा बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी 1,98,599 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे।
जमुई सुरक्षित सीट पर वोटरों की कुल संख्या 1,404,016 है। इसमें से महिला मतदाता 651,501 हैं जबकि 752,515 पुरुष मतदाता हैं।
जमुई संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। तारापुर, शेखपुरा, सिकंदरा, जमुई, झांझा और चकई। इनमें से 4 विधानसभा सीटें जमुई जिले में आती हैं। जबकि एक मुंगेर और एक शेखपुरा जिले में। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 2-2 सीटें जेडीयू-आरजेडी के खाते में जबकि 1-1 सीट बीजेपी और कांग्रेस के खाते में गई थी।
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