कर्नाटक चुनाव में बीजेपी ने कट्टर हिंदुत्ववादी छवि वाले अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री के एस ईश्वरप्पा को टिकट देने पर अभी कोई फैसला नहीं किया है। पार्टी सूत्रों ने पुष्टि की है कि पार्टी उन्हें टिकट नहीं देने का फैसला पहले ही ले चुकी है और नए चेहरे की तलाश कर रही है। पार्टी में ईश्वरप्पा कुरुबा समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं।
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ईश्वरप्पा कट्टर हिंदुत्ववादी नेता हैं और लाल किले पर 'भगवा' झंडा फहराने, अजान और अल्पसंख्यक विरोधी खासकर मुस्लिमों के खिलाफ लगातार बयानों से चर्चा में रहते हैं। ईश्वरप्पा और येदियुरप्पा समकालीन हैं। सूत्रों ने बताया कि पार्टी सोच रही है कि जब येदियुरप्पा को चुनावी राजनीति में बने रहने के अवसर से वंचित किया गया है, तो ईश्वरप्पा को भी मौका नहीं दिया जाएगा।
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हालांकि, बीजेपी में कुरुबा समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाने वाल ईश्वरप्पा अपनी सीट से टिकट के लिए अपने बेटे कंटेश की पैरवी शुरू कर चुके हैं। ईश्वरप्पा शिवमोग्गा शहर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने राजनीतिक दिग्गज के एच श्रीनिवास को हराकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने उपमुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया है।
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ठेकेदार और बीजेपी नेता संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले के बाद ईश्वरप्पा को साल 2022 में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। पाटिल ने अपने सुसाइड नोट में अपनी हालत के लिए ईश्वरप्पा को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि बाद की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।
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लेकिन क्लीन चिट के बावजूद ईश्वरप्पा कैबिनेट में वापस नहीं आ सके। पार्टी संगठनात्मक गतिविधियों के लिए उनकी सेवाओं का उपयोग करने पर विचार कर रही है। येदियुरप्पा के करीबी स्थानीय नेता अयानुर मंजूनाथ टिकट के दावेदार हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता, साधन संपन्न व्यक्ति और संघ परिवार के करीबी धनंजय को टिकट मिल सकता है।
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