प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के सभी बड़े नेता परिवारवाद को लेकर दूसरे दलों पर हमलावर रहते हैं, लेकिन सच्चाई में बीजेपी भी उतनी ही परिवारवादी पार्टी है जितने दूसरे। झारखंड चुनाव में भी पार्टी ने नेताओं के परिवारों को खूब टिकट दिया है। बीजेपी को इसकी वजह से विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। झारखंड में जमशेदपुर पूर्व सीट से एक प्रभावशाली परिवार के व्यक्ति को टिकट देने के खिलाफ हाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले शिवशंकर सिंह ने बुधवार को कहा कि वह विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने बीजेपी की "परिवारवाद" के लिए आलोचना की और दावा किया कि उनके मैदान में उतरने से कांग्रेस सहित राष्ट्रीय दलों की संभावनाओं पर असर पड़ेगा।
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बीजेपी ने सिंह को मंगलवार को पार्टी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने और आधिकारिक उम्मीदवार एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास की पुत्रवधू पूर्णिमा दास साहू के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण दल से निलंबित कर दिया। आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले 55 वर्षीय सिंह लगभग तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने जमशेदपुर पूर्व से पूर्णिमा को मैदान में उतारने के बीजेपी के फैसले पर कड़ा विरोध जताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेतृत्व अपने भाषणों में अक्सर "परिवारवाद" की आलोचना करता है, जबकि वह स्वयं वंशवादी राजनीति में लिप्त है।
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सिंह ने राज्य में टिकट पाने वाले कई प्रभावशाली व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों की ओर इशारा किया, जिनमें पोटका से (पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी) मीरा मुंडा और घाटशिला से (पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र) बाबूलाल सोरेन शामिल हैं।
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इस बार जमशेदपुर पूर्व सीट से 15 निर्दलीयों सहित 24 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन सिंह ने कहा कि सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और उनके बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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