राजनीति

बिहार के बाद यूपी में जमीन की तलाश में ओवैसी, बीजेपी के पूर्व सहयोगी राजभर से मिले, शिवपाल पर भी नजर

साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 34 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि, सफलता नहीं मिली थी। लेकिन हाल में संपन्न बिहार चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद ओवैसी अब उत्तर प्रदेश की सियासी पिच पर फिर से उतरकर किस्मत आजमाने की कवायद में हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

बिहार विधानसभा चुनाव में आशा से अधिक सफलता मिलने से उत्साहित ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की निगाह अब उत्तर प्रदेश पर है। प्रदेश में अपने पैर जमाने की कोशिश के तहत उन्होंने बुधवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से लखनऊ के एक होटल में मुलाकात की, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में कयास लगने शुरू हो गए हैं।

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पूर्व मंत्री और सुहेलदेव समाज पार्टी मुखिया ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात के दौरान ओवैसी ने कहा कि “मैं नाम बदलने नहीं, दिलों को जीतने आया हूं।” उनका यह तंज बीजेपी पर था। राजभर से मुलाकात पर ओवैसी ने कहा कि हम दोनों आप के सामने बैठे हुए हैं। हम एक साथ हैं और राजभर जी के नेतृत्व मे चुनाव लड़ने को तैयार हैं।

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इस दौरान सुहेलदेव समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में हमारा 8 दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा है। जिसमें हम संयुक्त मोर्चे के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इसी मोर्चे में ओवैसी भी शामिल हुए हैं। भागीदारी संकल्प मोर्चे में राष्ट्रीय अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना दल कृष्णा पटेल, भारत माता पार्टी के रामसागर बिंद, राष्ट्र उदय पार्टी के बाबू रामपाल, राष्ट्रीय भागीदारी पार्टी (पी) प्रेमचंद प्रजापति, भारतीय वंचित समाज पार्टी के रामकरण कश्यप और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी संकल्प मोर्चे में शामिल हुई है। राजभर ने दिसंबर 2019 में भागीदारी संकल्प मोर्चे का गठन किया था। तब केवल पांच दल इसमें शामिल थे।

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बिहार चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में जमीन तलाश रहे ओवैसी ने इस दौरान प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल यादव की भी जमकर तारीफ की। हाल ही में शिवपाल यादव ने भी ओवैसी की पार्टी से आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के संकेत दिए थे। माना जा रहा है कि चुनावी रणनीति के तहत जल्द ही ओवैसी उनसे भी मुलाकात कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो ओवैसी का यह दौरा यूपी की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।

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बता दें कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 34 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारा था। हालांकि, सफलती नहीं मिली थी। लेकिन हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद ओवैसी के हौसले बुलंद हैं। असदुद्दीन ओवैसी अब उत्तर प्रदेश की सियासी पिच पर उतरकर किस्मत आजमाने की कवायद में हैं।

हालांकि ओवैसी की राह बिहार की तरह यूपी में उतनी आसान नहीं होगी। क्योंकि उनकी पहल से पहले अभी एक दिन पहले मंगलवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर प्रदेश की राजनीति में सबको चौंका दिया है। हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि केजरीवाल अकेले मैदान में उतरेंगे या किसी गठबंधन के साथ ताल ठोकेंगे। लेकिन फिलहाल प्रदेश के 2022 में होने वाले चुनाव के लिए अभी से बिसात बिछने लगी है।

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