दिसंबर 2017 में मुजफ्फरनगर के टाउनहॉल मैदान में बीजेपी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे करीबी मंत्री सुरेश राणा ने कहा था कि मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान उन्हें आजम खान के कहने पर जेल में भेजा गया था। उन्हें उस व्रज वाहन का नंबर भी याद था, जिससे उन्हें जेल भेजा गया था। उन्होंने कहा था, “याद रखिये अगर आपने बीजेपी की सरकार बनवाई तो आजम खान को उसी व्रज वाहन से तारीख पर भेजेंगे”। मैदान में खूब तालियां बजी थीं।
अब यही हो रहा है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और 71 साल की उम्र में पीठ दर्द से परेशान आजम खान सीतापुर से 240 किमी दूर रामपुर पुलिस की गाड़ी से तारीख पर आ रहे हैं। पेशी पर आए आजम खान ने यह भी कहा है उनके साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव हो रहा है।
इस तरह समाजवादी पार्टी के सबसे कद्दावर नेता आजम खान अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर में हैं। उनका एक-एक ख्वाब कुचला जा रहा है और हर एक तक़लीफ का एहसास कराया जा रहा है। फिलहाल अपनी बीमार पत्नी और बेटे के साथ वह सीतापुर जेल में बंद हैं। यहां उन्हें वक़्त पर खाना नही मिलता और शौचालय जाने नहीं दिया जाता (यह बात आजम खान ने खुद मीडिया से बताया है)।
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28 फरवरी को आजम खान अपने बेटे अब्दुल्लाह आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र वाले मामले में धोखाधड़ी के केस में अदालत में पेश हुए थे, जहां उन्हें परिवार के साथ जेल भेज दिया गया। अब्दुल्लाह आजम (आजम के बेटे) 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वार से विधायक चुने गए थे। उन पर अपनी उम्र छिपाकर चुनाव लड़ने का आरोप था।
रामपुर के एक स्थानीय बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने उनके कागजात जुटा लिए। इनमें अब्दुल्लाह के दो जन्म प्रमाण पत्र होने की बात सामने आ गई। बाद में आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे के विरुद्ध जानकारी छुपाने और जाली दस्तावेज़ बनवाने का मुक़दमा दर्ज हो गया और अब अबुदल्लाह आजम की विधानसभा सदस्यता भी निरस्त की जा चुकी है।
पुलिस ने इसी मामले को आधार बनाकर उनके घर के कुर्की आदेश लिए तो वो अदालत में पेश होने चले गए, जहां से उन्हें 3 दिन की न्यायिक हिरासत में रामपुर जेल भेज दिया गया। रामपुर से सुरक्षा-व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें अहले फजिर (सूर्य उदय से पूर्व) सीतापुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया। वहां उनसे मिलने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पहुंचे। इसके बाद 3 मार्च को उन्हें पुलिस की गाड़ी से रामपुर लाया गया। उनकी विधायक पत्नी तंजीन फ़ातिमा को पीठ दर्द की शिकायत पर सूमो गाड़ी उपलब्ध कराई गई।
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फिलहाल वे सभी सीतापुर जेल में बंद हैं। तीन मार्च को उनकी रिहाई की बात कही जा रही थी। मगर फिलहाल इसकी संभावना नही है। रामपुर के एसपी संतोष मिश्रा को आजम खान के प्रति 'सॉफ्ट कॉर्नर' रखने के आरोपों के बीच हटाया जा चुका है। कार्रवाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान से समझा जा सकता है, जिसमे उन्होंने इशारों में कहा है कि रामपुर में बिजली चमक रही है।
आजम खान के खिलाफ रामपुर में सिर्फ यही एक मुकदमा दर्ज नहीं है। जानकारी के अनुसार उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमों की कुल संख्या 85 है। इसके अलावा उनकी पत्नी और बेटे के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हैं। आजम खान को भू माफिया घोषित किया जा चुका है। उनके प्रयासों से गाजियाबाद में बनाए गए हज हॉउस को कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों के लिए अस्पताल में तब्दील करने की बात गाजियाबाद के जिलाधिकारी ने सार्वजनिक कर दी है।
उधर उनके मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को उत्तर प्रदेश सरकार अपने नियंत्रण में लेने की कवायद कर रही है। आजम खान के विरुद्ध जो मुकदमे दर्ज हुए हैं, उनमें बकरी खोलने, किताब चुराने और जमीन कब्जाने तक के मुकदमे हैं। हाल ही में उनके विरुद्ध एक और मुकदमा दर्ज हुआ है। यह मुकदमा है शत्रु सम्पति पर अवैध कब्जे का।
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इस सब के बीच बुरी तरह घिर चुके आजम खान को लेकर सियासी और गैर सियासी लोगों में चर्चा है कि क्या आजम खान इस मुश्किल वक्त से उबर पाएंगे! हालांकि 71 साल के आजम खान के तेवर पिछले हफ़्ते तक वही थे, जब उन्हें पत्नी तंजीन फातिमा और पुत्र अब्दुल्लाह आजम के साथ सीतापुर जेल में शिफ्ट किया गया था। वहां उन्होंने कहा था- "आपको दिख नही रहा! क्या हो रहा है! सारा देश जानता है यह क्या हो रहा है, अब किसी से कुछ छुपा हुआ नही है। मगर हर एक रात के बाद सुबह जरूर आती है।”
आजम खान वर्तमान में समाजवादी पार्टी से रामपुर से सांसद है। उन्होंने सिने अभिनेत्री जया प्रदा को हालिया लोकसभा चुनाव में शिकस्त दी थी। वो रामपुर से 9 बार विधायक रहे हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और मुलायम सिंह यादव के दाहिने हाथ समझे जाने वाले आजम खान तीन दशक से हिन्दूवादी ताकतों की आंखो की किरकरी रहे हैं। उनके बयान अक्सर विवादों के केंद्र में रहते हैं। मीडिया ने उन्हें फायरब्रांड नेता का तमगा दे रखा है। 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही वो बुरी तरह उलझे हुए हैं और एक-एक कर उनके खिलाफ अब तक 85 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
सीतापुर जेल में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनसे मिलकर कहा कि सरकार उन्हें जानबूझकर अपमानित करने का काम कर रही है। वो एक बेहद ईमानदार राजनेता हैं। उन्होंने एक शानदार यूनिवर्सिटी बनाई है। बस यह यूनिवर्सिटी ही कुछ लोगों की आंखों में खटक रही है। अखिलेश ने कहा कि आजम खान साहब ने जीवन भर संघर्ष किया है और वो इससे टूटने वाले नहीं हैं। तकलीफ यह है कि उनकी बीमार पत्नी को भी षड्यंत्र करके जेल भेजा गया है। यह पूरी तरह सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का मामला है। यह बदले की कार्रवाई है। अखिलेश सीतापुर जेल में आजम खान से मिलने पहुंचे थे, लेकिन समाजवादी पार्टी ने अब तक किसी तरह के आंदोलन का ऐलान नही किया है।
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पिछले लोकसभा चुनाव में सरकारी अफसरों को 'तनखिया' बताकर जूते के फीते बंधवाने की बात कहने वाले आजम खान से स्थानीय अफसर भी नाराज बताएं जाते हैं। उनके विरुद्ध उस बयान को लेकर भी एक मुकदमा दर्ज है। आजम खान की यूनिवर्सिटी की एक दीवार भी हाल ही में बुलडोजर से ध्वस्त कराई गई है।
यह वही आजम खान हैं, जिनका समाजवादी पार्टी की हर सरकार में जलवा रहा है और पिछली सरकार में तो इन्हें सुपर सीएम तक कहा जाता था। अपनी तुनक मिजाजी के लिए चर्चित आजम खान उत्तर प्रदेश सरकार में नगर विकास मंत्री थे, मगर उनका दखल हर विभाग में चलता था। उनके मंत्री रहते एक बार उनकी भैंस चोरी हो गई थी तो पूरी जनपद की पुलिस को भैंस खोजने के काम पर लगा दिया गया था। अब इत्तेफाक यह है कि खुद उनके विरुद्ध भैंस चोरी का भी एक मुकदमा दर्ज किया गया है।
आज़म खान के करीबी सहारनपुर के समाजवादी पार्टी के नेता फिरोज आफताब के अनुसार पूरे देश मे बदले की कार्रवाई चल रही है। यह कार्रवाई भी लालू प्रसाद यादव और पी चिदंबरम की तरह राजनीतिक द्वेष से परिपूर्ण है। मगर आजम खान के अतीत को देखते हुए वो हिम्मत नहीं हारेंगे। वो आपातकाल दौरान भी जेल में रहे हैं और उन्होंने अत्यधिक संघर्ष किया है।
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1974 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्र संघ के सचिव रहने वाले आजम खान वर्तमान में समाजवादी पार्टी के भी राष्ट्रीय महासचिव हैं। वो समाजवादी पार्टी के मुख्य मुस्लिम नेता माने जाते हैं। हालांकि उनके बयान से कई बार समाजवादी पार्टी असहज भी हुई है। अक्सर उनकी तुनक मिजाजी भी चर्चा में रहती है। आजम खान ने रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम से एक यूनिवर्सिटी बनाई है। जिसके अल्पसंख्यक दर्जे के लिए उन्हें खासा मशक्कत करनी पड़ी थी।
रिक्शा यूनियन के नेता से मुख्य राजनीति में आने वाले आज़म खान के राजनीतिक सफर में उनके नवाब खानदान से टकराव को अहम माना जाता है। आजम खान के पिता एक मामूली टाइपिस्ट थे। मगर आजम खान ने एएमयू से वकालत की पढ़ाई की और दबे-कुचले और पिछड़ों की आवाज बन गए।
रामपुर में भी आजम खान को परिवार सहित जेल भेजे जाने से भारी नाराजगी देखी जा रही है। आजम खान खुद यहां से सांसद हैं, जबकि उनकी पत्नी विधायक हैं। रामपुर के फय्याज खान कहते हैं, "आजम साहब अपना समर्पण करने अदालत की शरण मे गए थे, क्योंकि वो देश के कानून में भरोसा करते हैं। लेकिन उनके साथ इंसाफ नहीं हुआ। रामपुर के लोगों मे बहुत गुस्सा है। हम उनके आदेश का इंतजार कर रहे हैं, वरना हम भी उनके साथ जेल में रहेंगे। रामपुर के हजारों लोग जेल जाने के लिए तैयार हैं।”
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लेकिन फिलहाल आजम खान जेल से बाहर आते नहीं दिख रहे हैं। रामपुर के दानिश खान बताते हैं कि आजम खान के विरुद्ध दर्ज मुकदमों में ज्यादातर वादी पक्ष मुस्लिम ही हैं। इनको स्थानीय नेता नवाब काजिम अली खान और फैसल लाला जैसे लोगो का समर्थन है। आजम खान ने अपने विरोधियों को नीचा दिखाने का काम किया था। इनमें सिर्फ बीजेपी के लोग शामिल नहीं थे। अब आजम विरोध पर सब एक हो गए हैं। नवाब काजिम अली खान पूर्व सांसद बेगम नूरबानो के बेटे हैं। आजम खान की स्थानीय राजनीति नवाब खानदान की मुखालफत में परवान चढ़ी है। स्थानीय लोगों के समर्थन के आधार पर प्रशासन आजम खान के विरुद्ध खुलकर कार्रवाई कर रहा है।
हालांकि रामपुर में आजम खान के समर्थकों की संख्या उनके विरोधियों से ज्यादा है। यही कारण है कि वो हर बार चुनाव जीत जाते हैं। रामपुर के शाहजेब कहते हैं कि फिलहाल उनके समर्थको की भी घेरेबंदी चल रही है। जब उनके नेता का यह हाल है तो फिर समर्थक भी खुद को असहाय महसूस करेंगे ही। अब समाजवादी पार्टी को हो उनके विरुद्ध हो रहे उत्पीड़न की आवाज बनना चाहिए। शाहजेब बताते हैं कि एक बार रामपुर में एसपी नेता मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाया गया था तो आजम खान देर से मंच पर पहुंचे। उन्हें देखकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खड़े हो गए तो मंच पर मौजूद सभी नेता खड़े हो गए। इतने सम्मान पाने वाले नेता के साथ पार्टी पूरी तरह खड़ी तो है, मगर सड़क पर दिखाई नहीं दे रही!
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फिलहाल आजम खान के जेल जाने, उनकी यूनीवर्सिटी पर सरकारी कब्जे की कवायद और हज हाउस को अस्पताल बनाने की चर्चा के बीच आजम खान के कुचले जा रहे सपनों को जरूरी वेंटिलेटर नही मिल पा रहा है। उत्तर प्रदेश के उनकी पार्टी के एक भी बड़े मुस्लिम नेता या संगठन ने अब तक आजम खान के पक्ष में एक भी आवाज नहीं उठाई है। लखनऊ के खालिद सिद्दीकी कहते हैं, "सब जानते हैं कि उनके साथ क्या हो रहा है। तमाम हिंदूवादी ताकतें उनसे बदला लेने की जुगत में लगी थीं। उनके विरुद्ध लगातार जहरीले बयान दिए जाते थे। वो निशाने पर थे। अब वो बुरी तरह फंस गए हैं। अपने व्यवहार के चलते उन्होंने समाजवादी पार्टी के सभी मुस्लिम नेताओं से भी बिगाड़ रखा था। वो मुसलमान नेताओं को अपमानित करते थे और समाजवादी पार्टी में उनकी प्रगति में टांग अड़ाते थे। ऐसा उन्होंने कमाल अख्तर, आशु मलिक, अहमद हसन और शाकिर अली और शाहिद मंजूर जैसे नेताओं के साथ किया। इन सभी को अपने जख्म याद हैं। हालांकि इन्हें पिछली बातें भुलाकर आजम खान के साथ आना चाहिए, क्योंकि आजम खान ने यूनिवर्सिटी और हज हाउस बनवाकर अच्छा काम किया।”
सहारनपुर के सरफराज खान के अनुसार आजम खान आपातकाल के दौरान जेल गए थे और उन्होंने बहुत अधिक संघर्ष किया है। किसी भी प्रकार का बुरा वक्त उन्हें तोड़ नही सकता है। उनका दौर पलट कर आएगा। हालांकि उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है वो बहुत बुरा है। यह बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई है। आजम खान हमेशा लोकतंत्र के लिए लड़े हैं!
इस सबके बीच 71 साल के आजम खान को अब अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की इजाजत दे दी गई है। उनके वकील खलीलुल्लाह के मुताबिक उन्हें 8 मुकदमों में राहत मिल गई है और वो जल्दी ही बाहर जाएंगे। लेकिन जानकारों की मानें तो अगर आजम खान वापस आ भी जाएं तो भी उन्हें पहले जैसा मुक़ाम मिलना मुमकिन नही दिखता। फिलहाल वह सीतापुर जेल में बंद हैं, जहां की महिला बैरक में उनकी पत्नी बंद हैं। अंदर बाहर दोनों तरफ जूझ रहे आजम अब फिर से वापसी कर पाएंगे, ऐसा दिखता नहीं है!
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