राजनीति

झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का दावा मजबूत, एनडीए में बिखराव

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहा जनता दल (युनाइटेड) जहां अकेले चुनावी मैदान में उतर गया है, वहीं NDA की घटक लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) भी सीट बंटवारे से नाराज होकर 50 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

झारखंड में विपक्षी दलों राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का महागठबंधन जहां चुनावी मैदान में उतर चुका है, वहीं इस चुनाव में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पूरी तरह बिखरा नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहा जनता दल (युनाइटेड) जहां अकेले चुनावी मैदान में उतर गया है, वहीं NDA की घटक लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) भी सीट बंटवारे से नाराज होकर 50 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।

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इधर, झारखंड में 19 सालों तक BJP के साथ चली ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) से गठबंधन को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राजनीति के जानकार भी NDA में समझौता नहीं होने का कारण अहं (अभिमान) और वहम (शंका) को मानते हैं। झारखंड की राजनीति को नजदीक से देखने वाले और वरिष्ठ पत्रकार विजय पाठक कहते हैं कि यह सभी को मालूम है कि जनता दल (युनाइटेड) और एलजेपी का यहां कोई बड़ा आधार नहीं है, लेकिन पार्टी के रणनीतिकार ने विस्तार की रणनीति के तहत यहां अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

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पाठक हालांकि यह भी दावे के साथ कहते हैं कि जनता दल (युनाइटेड)और एलजेपी को कार्यकर्ता क्या, जिताऊ प्रत्याशी खोजने में भी परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि यह इन दलों का अहं ही है कि इतनी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुके हैं।

जनता दल (युनाइटेड) ने चुनाव की घोषणा से पहले ही झारखंड में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। जनता दल (युनाइटेड) के वरिष्ठ नेता प्रवीण सिंह कहते हैं कि जनता दल (युनाइटेड) यहां मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरी है। उनका कहना है कि जनता दल (युनाइटेड) झारखंड बनने के बाद भी कई सीटों पर विजयी हो चुकी है।

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केंद्र सरकार में बीजेपी की भागीदार बनी एलजेपी ने झारखंड में 50 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया है। बीजेपी की सहयोगी आजसू से भी सीट बंटवारे को लेकर स्थिति असमंजस की बनी हुई है। बीजेपी ने राज्य की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 53 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है, जबकि आजसू ने भी 12 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसमें तय है कि झारखंड में कम से कम पांच सीटों पर दोनों दलों का दोस्ताना संघर्ष देखने को मिलेगा।

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एक बीजेपी नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि इस चुनाव में बीजेपी के अहं और वहम ने सहयोगी दलों को उससे दूर कर दिया है। वह हालांकि यह भी मानते हैं कि हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम से उत्साहित छोटे दल भी अपनी क्षमता से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतार रहे हैं।

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झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में मतदान होना है। नतीजे 23 दिसंबर को आएंगे। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 37 सीटें पाने वाली बीजेपी ने बाद में झारखंड विकास मोर्चा (जीवीएम) से अलग होकर विलय करने वाले छह विधायकों के सहारे पहली बार बहुमत की सरकार बनाई थी। वर्ष 2000 में गठित हुए इस राज्य में रघुबर दास पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं।

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