उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को एकजुट दिखने की मजबूरी भी है। मुख्यमंत्री योगी का केशव के घर पर लंच के लिए जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। कोरोनाकाल की दूसरी लहर में हुई अव्यवस्था पर विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों और सांसदों ने चिट्ठी लिखकर अपनी सरकार के काम-काज पर सवाल खड़े किए थे।
Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST
सरकार पर एक जाति विशेष को आगे बढ़ाने का भी आरोप लगा है। इसके बाद से बने माहौल को दुरूस्त करने के लिए पार्टी के सामने एकजुट दिखने की मजबूरी बनती है। विधानसभा चुनाव में अब 6 माह बचे हैं, ऐसे में पार्टी के पूर्व अध्यक्षों को बुलाकर भी बड़ा संदेश देने का प्रयास हो रहा है, जिससे संगठन कहीं से कमजोर न दिखे। इसी कारण मातृ संगठन आरएसएस के नंबर दो सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोल और कृष्ण गोपाल जैसे नेताओं का उपास्थित होना भी इस बात का संकेत है कि सभी कार्यकतार्ओं और जनता के बीच 'आल इज वेल' का संदेश जाए।
Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक धड़ा बीते दिनों से बयान देता है कि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। जबकि हाल में केशव और श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या का बयान आया कि चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, यह संसदीय बोर्ड तय करेगा। यह दोनो बातें भी ठीक है लेकिन चुनाव के ठीक पहले इस प्रकार की बातें होना एक नई चचार्ओं को जन्म देता दिख रहा था। इसीलिए रणनीतिकारों ने भी वरिष्ठ नेताओं ने सभी के सुर-ताल एक करने के लिए मेजबानी और मेहमानवाजी का दौर चलाया जा रहा है।
Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST
उन्होंने बताया कि परिवारिक मुलाकात और दावत के जरिए पार्टी एकता का संदेश कार्यकतार्ओं और जनता के बीच जाना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय महामंत्री संगठन का दो बार लखनऊ आना अहम है। संघ के बड़े नेताओं की नजर यहां के हर एक घटनाक्रम पर जिसे चुनाव के पहले दुरूस्त करना बेहद जरूरी है।
Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं, '' भाजपा को खुद अपनी चिंता है क्योंकि विपक्ष को चार साल में जिस प्रकार अपनी भूमिका निर्वाहन करना चाहिए, वह नहीं कर पाया है। भाजपा को चुनौती भी खुद से ही रही है। चाहे भाजपा विधायकों का विधानसभा में प्रदर्शन हो या फिर, विधायकों का चिटठी लिखकर सरकार के काम-काज पर सवाल उठाना रहा हो। ऐसे तमाम उदाहरण रहे हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच सबकुछ ठीक नहीं, ये भी संदेश जा रहा था। चुनाव के 6 माह बचे है तो आरएसएस के बड़े पदाधिकारी इस बात को समझ रहे हैं। इसी कारण मातृसंगठन के बड़े पदाधिकरियों के सानिध्य मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का मिलना और उनके ट्वीट को रिट्वीट करने का सिलसिला शुरू हुआ। यह इस बात की कवायद है कि घर में एकता है, और हम सब मिलकर एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं।''
Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं, ''भाजपा को मिशन 2022 फतह करने के लिए एकजुट रहने का संदेश देना बहुत जरूरी है। पार्टी इसी कवायद में लग गयी है। पहले केशव के यहां मुख्यमंत्री और संघ के बड़े नेताओं का मेलमिलाप इसी बात का संकेत है। इसके बाद पार्टी मिटिंग में पूर्व अध्यक्ष विनय कटियार और लक्ष्मीकांत वाजपेई जैसे नेताओं को शामिल होने का मतलब ही एकजुटता का संदेश देना है।''
Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST
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Published: 23 Jun 2021, 12:54 PM IST