गुजरात में बीजेपी की हालत खराब देख, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धमकी देने पर उतर आए हैं। रविवार को अपने दौरे में उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि, “जो भी विकास विरोधी हैं, उन्हें केंद्र सरकार एक फूटी कौड़ी भी नहीं देगी।” प्रधानमंत्री ने यह धमकी रविवार को हुई रैली में दी। क्या प्रधानमंत्री विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों को धमका रहे थे, या फिर गुजरात और गुजरातियों को, कि अगर उन्होंने गैर-बीजेपी सरकार चुनी तो, उन्हें पैसे-पैसे के लिए मोहताज कर दिया जाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि दरअसल वे गुजरात और गुजरातियों को ही धमका रहे थे। गुजरात में बीते 22 बरस से बीजेपी की सरकार है, और सरकार के कामकाज को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा और नाराजगी है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री अपने गृह राज्य में रैली कर रहे हों, तो उनके दिमाग में गुजरात के अलावा कोई और राज्य नहीं हो सकता।
दरअसल यह अब सबको पता लग चुका है कि बीजेपी ने गुजरात में अब तक जितने भी रोड शो या यात्राएं की हैं, इनमें भीड़ नहीं जुटी और बड़े नेताओं की मौजूदगी के बावजूद ये सब फ्लॉप रहा। इतना ही नहीं गुजरात बीजेपी अध्यक्ष पर कालिख पोती गई और बड़े नेताओं को काले झंडे दिखाए गए। यह भी खबरें आम हैं कि प्रधानमंत्री की रैली में भाड़े पर लोगों को जुटाया गया था, और प्रधानमंत्री का भाषण शुरु होने से पहले ही लोग रैली छोड़कर जाने लगे थे।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने खुलेआम वोटरों को धमकी दी है। राज्यों को आर्थिक मदद मुहैया कराना और सरकारी पैसा देना संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक होता है, न कि किसी गुस्सैल और अहंकारी प्रधानमंत्री के विवेक पर। लेकिन नरेंद्र मोदी तो ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने केंद्र और राज्यों को बीच सेतु का काम करने वाले योजना आयोग को ही खत्म कर दिया और सारे फैसले सिर्फ और सिर्फ पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से ही होने लगे।
इसके बावदूज प्रधानमंत्री को समझना होगा कि वे राज्यों का पैसा नहीं रोक सकते। लेकिन इतना जरूर कर सकते हैं कि राज्यों को आर्थिक सहायता देने वाली फाइलों पर पीएमओ कोई फैसला ही न ले और वे पीएमओ में धूल खाती रहें।
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि क्या कोई प्रधानमंत्री इस किस्म की धमकी दे सकता है? संभवत: हां, बशर्ते वे साफ शब्दों में उस व्यक्ति या राज्य का नाम जाहिर करें। सवाल यह भी है कि कौन लोग हैं जो ‘विकास’ का विरोध कर रहे हैं? विधायकों की बात तो छोड़िए, आखिर कोई भी क्यों विकास का विरोध करेगा?
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ऐसे में प्रधानमंत्री को देश को यह बताना होगा कि वे कौन लोग हैं जो ‘विकास’ का विरोध कर रहे हैं। निश्चित तौर पर उनके दिमाग में उन गुजरातियों के चेहरे नहीं होंगे, जिन्होंने बारिश में जलमग्न हुई सड़कों और गड्ढों की फोटो के साथ जगह-जगह लिखा था कि ‘विकास’ पागल हो गया है? तो फिर क्या उनके मन में सूरत के वे कारोबारी हैं जिन्होंने अपने बिलों पर छपवा दिया है कि ‘हमारी भूल, कमल का फूल’?
यूं तो हर मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहते हैं, उम्मीद है कि इस मुद्दे पर भी जल्द ही सफाई देंगे। या फिर इस ‘धमकी’ को वायरल होने का इंतजार करेंगे?
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