सोमवार को कांग्रेस और पाटीदार नेताओं के बीच एक बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस ने यह फैसला लिया। इससे पहले हार्दिक पटेल ने पाटीदारों के मुद्दे से जुड़ी 5 मांगों पर कांग्रेस को 3 नवंबर तक अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। जिस पर कांग्रेस ने अलटीमेटम के दूसरे ही दिन पाटीदार नेताओं के साथ बैठक कर उनकी 5 में से 4 मांगों पर अपनी सहमति दे दी। हालांकि इस बैठक में हार्दिक पटेल शामिल नहीं थे। लेकिन बाद में बैठक में लिए गए फैसले के बारे में उन्होंने ही प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी। हार्दिक ने कांग्रेस पार्टी की पहल पर संतुष्टि जताई और खुशी का इजहार किया।
प्रेस से बात करते हुए हार्दिक ने बताया कि कांग्रेस ने उनकी 5 में से 4 मांगें मान ली है। 5 मांगों में से एक पटेलों के आरक्षण पर कांग्रेस ने कहा है कि यह तकनीकी मसला है जिस पर कानून के जानकारों से राय के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है। क्योंकि यह मामला अभी अदालत में भी विचाराधीन है। इसी साल 9 और 14 दिसंबर को दो चरणों में गुजरात विधानसभा का चुनाव होने वाला है। इससे पहले हार्दिक ने पटेल आरक्षण पर कांग्रेस को 3 नवंबर तक अपना नजरिया स्पष्ट करने का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि कांग्रेस 3 नवंबर तक ये बताए कि संवैधानिक आरक्षण कैसे देगी।
हार्दिक पटेल ने पाटीदार आंदोलन के दौरान पाटीदार समुदाय के नेताओं पर दर्ज किये गए राजद्रोह के मामलों पर कांग्रेस से रुख स्पष्ट करने का कहा था। कांग्रेस ने हार्दिक की बात मानते हुए कहा है कि आंदोलन में शामिल पाटीदारों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के केस वापस लिए जाएंगे। आंदोलन के दौरान मारे जाने वालों को मुआवजे की मांग पर कांग्रेस ने आंदोलन में मारे गए हर शख्स के परिवार को 35 लाख रुपये देने की बात कही है। साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि अगर उन मृतकों के परिवार में कोई नौकरी के योग्य हुआ तो परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी।
हार्दिक की तीसरी मांग थी कि आंदोलनकारियों पर लाठी गोली चलाने वाले दोषी अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी। कांग्रेस ने कहा कि पार्टी की सरकार आने पर जिन लोगों ने लाठी गोली चलाने के दोषियों की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई जाएगी और उसमें काबिल और ईमानदार अफसर रखे जाएंगे। हार्दिक की चौथी मांग जो कांग्रेस ने मान ली है वह पाटीदारों के लिए बीजेपी द्वारा बनाए गए आयोग को अमली जामा पहनाने की है। बीजेपी ने आयोग गठन का सिर्फ नोटिफिकेशन जारी कर दिया था कोई कानून नहीं बनाया था। कांग्रेस ने इसे संवैधानिक आधार पर लागू करने की बात कहते हुए इसे केंद्रीय दर्जा देने की बात कही है। कांग्रेस ने आयोग के बजट को 600 करोड़ से बढ़ाकर 2 हजार करोड़ करने की बात कही है।
अपनी पांचवी मांग में हार्दिक ने पटेलों को आरक्षण देने पर कांग्रेस से रुख स्पष्ट करने को कहा था। पाटीदार नेता की इस मांग पर कांग्रेस ने कहा कि यह एक तकनीकी मुद्दा है। पार्टी की सरकार आने पर अगर पटेलों को आरक्षण दे भी दिया जाए तो कोर्ट उसे खारिज कर सकता है। ऐसे में कोई रास्ता निकालना होगा जो संविधान के दायरे में हो। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सर्वे भी कराने की बात कही है।
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हार्दिक ने कहा कि बैठक में शामिल उनके साथी नेताओं को कांग्रेस से बातचीत में भरोसा नजर आया। उन्होंने कहा, हम फिलहाल कांग्रेस पर विश्वास कर सकते हैं। हमें मालूम है कि हमें भरोसा करना ही होगा क्योंकि कांग्रेस अभी सत्ता में नहीं है।
गुजरात में लगभग 20 प्रतिशत पाटीदार वोटर हैं, जिनकी चुनाव परिणाम में काफी अहम भूमिका मानी जाती है। पिछले कई चुनावों से बीजेपी को पाटीदारों का समर्थन मिलता रहा है। ऐसे में इस बार के चुनाव में भी पाटीदार काफी अहम भूमिका में हैं। सभी दल पाटीदारों को मनाने में लगे हैं। बीजेपी खुद हार्दिक पटेल के हर कदम पर नजर रख रही है। सोमवार को गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने भी हार्दिक के अल्टीमेटम को लेकर उनसे सवाल किया, ‘हार्दिक को बताना चाहिए कि क्या कांग्रेस उनके समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिलाने को तैयार है। आर्थिक आधार पर बीजेपी पहले ही ऐसा कर चुकी है।‘
बीजेपी को लगातार पटेलों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में सूरत में अमित शाह की रैली के दौरान पाटीदारों ने उनके विरोध में नारे लगाए थे और काफी हंगामा किया था। इसके बाद बीजेपी ने पाटीदारों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कोशशें तेज कर दीं। हाल ही में बीजेपी हार्दिक पटेल के दो अहम सहयोगियों को तोड़कर पार्टी में शामिल कराने में कामयाब हुई है। आने वाले दिनों में गुजरात में चुनाव से पहले कई लोग इधर-उधर हो सकते हैं।
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