अब विकास की बात नहीं होगी। अब कालेधन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, वंशवाद और रोजगार की बात भी नहीं होगी। और इसलिए नहीं होगी, क्योंकि ये सारी बातें जुमले थीं, जुमले रहीं। प्रधानमंत्री मोदी भी जब यह कहते हैं कि पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया तो अब 67 नहीं 70 साल बोलने लगे हैं। इसमें उन्होंने अपने तीन साल भी जोड़ लिए हैं। क्योंकि उनसे बेहतर कौन जान सकता कि इन तीन सालों में भी कुछ नहीं हुआ।
तो फिर 2019 कैसे जीतेंगे?
रणनीति बन गई है। इस दिवाली अयोध्या में त्रेता युग जैसा वातावरण बनाने के बाद बीजेपी ने फिर से राम मंदिर और अयोध्या को ही अगले लोकसभा चुनाव का मुद्दा बनाने की रणनीति बना ली है। और इसकी शुरुआत अगले साल यानी 2018 की फरवरी में हो जाएगी।
राम और अयोध्या को ही 2019 के एजेंडे में शीर्ष पर स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 13 फरवरी 2018 को अयोध्या से राम राज्य रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। यह रथ यात्रा छह राज्यों से होकर गुजरेगी और रामेश्वरम में इसका समापन होगा।
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यूं भी अयोध्या और राम मंदिर के साथ हिंदुत्व को सर्वोपरि रखने की तमाम कोशिशें उत्तर प्रदेश में दिख रही हैं। अयोध्या में सरयू तट पर भगवान राम की 100 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा, दिवाली के मौके पर एक लाख 71 हजार दीयों को प्रज्वलित कर त्रेता युग जैसा वातावरण बनाना, मॉडल्स को भगवान राम और माता सिया बनाकर हैलीकॉप्टर से पुष्पक विमान जैसा आभास देना और उनका बिल्कुल उसी तरह स्वागत करना, मानो भगवान राम प्रकट हुए हों, ये सब संकेत हैं कि अयोध्या और राम ही बीजेपी के एजेंडे में शीर्ष पर हैं।
इतना ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश को भगवा रंग में रंगने की कोशिशें करना। इनमें सरकारी बसों, सरकारी अस्पताल के बिस्तरों की चादर का रंग या फिर कानपुर वनडे खेलना पहुंची भारत और न्यूजीलैंड की टीम का भगवा स्कार्फ से स्वागत करना हो या फिर सचिवालय की इमारत को भगवा रंग में रंगने का मामला। सब इसी बात के संकेत हैं कि उत्तर प्रदेश की संपूर्ण भगवाकरण करने के बाद, तय रणनीति के तहत देश भर में ध्रुवीकरण और भगवाकरण का माहौल बनाने की तैयारी हो गई है।
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अयोध्या मुद्दा गर्माया रहे, इसके लिए आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के मध्यस्थता प्रयासों का सामने आना, ताजमहल विवाद खड़ा करना भी इसी रणनीति का ही हिस्सा प्रतीत होते हैं।
जानकारी के मुताबिक राम राज्य रथ यात्रा अयोध्या से 13 फरवरी 2018 को शुरु होगी और 23 मार्च को रामेश्वरम में समाप्त होगी। वैसे तो इस रथ यात्रा का आयोजन महाराष्ट्र की श्री रामदास यूनिवर्सल सोसाइटी के बैनर तले होगा, लेकिन इसमें विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और उससे जुड़े सभी संगठन और बीजेपी के सभी संगठन और कार्यकर्ता शामिल होंगे।
इस यात्रा का घोषित उद्देश्य देश में रामराज्य की पुनः स्थापना और राम मंदिर निर्माण के लक्ष्य को हासिल करना है। यात्रा उत्तर प्रदेश से शुरु होकर, महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश, केरल समेत 6 राज्यों से गुजरेगी।
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इस रथ यात्रा की घोषणा ऐन गुजरात और मध्य प्रदेश चुनाव के बीच करने के पीछे भी एक खास मकसद साफ नजर आता है। तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का मानना रहा है कि मोदी किसी भी चुनाव में ध्रुवीकरण करने के मास्टर माने जाते हैं, ऐसे में विधानसभा चुनावों के दौरान राम राज्य रथ यात्रा की घोषणा को भी गुजरात में वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश के तौर पर ही देखा जा रहा है।
इस घोषणा से अब यह भी साफ होने लगा है कि आखिर योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे कौन सी महत्वपूर्ण वजह रही होगी। उत्तर प्रदेश में सत्ता की बागडोर योगी के हाथ में देने की घोषणा के साथ ही यह आम चर्चा थी कि आरएसएस ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्पष्ट कर दिया था कि विकास का राग आप अलापिए, विचारधारा और हिंदुत्व के एजेंडे के लिए योगी को कुर्सी पर बिठाइए। संघ के इस निर्देश के आगे नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को झुकना पड़ा था। संघ का यह एजेंडा अब मूर्त रूप लेता नजर आ रहा है।
ऐसे में आने वाले दिनों में देश के सौहार्द्र में किस तरह का तनाव नजर आएगी, इसकी कल्पना ही की जा सकती है।
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