महाराष्ट्र में भले ही बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना फिर से तय हो, लेकिन सच्चाई ये है कि इस बार गठबंधन बहुत मुश्किल से बहुमत के आंकड़े को पार कर पाया है और वह भी अपने दम पर नहीं। दरअसल इस बार महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनने में कहीं न कहीं परोक्ष रुप से प्रकाश अंबेडकर की भूमिका अहम रही है। भले उनकी पार्टी इस चुनाव में खुद एक भी सीट नहीं जीत पाई हो, लेकिन इसने कम से कम 32 सीटों पर जीत में शिवसेना-बीजेपी को परोक्ष रूप से मदद की है।
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प्रकाश अंबेडकर महाराष्ट्र की क्षेत्रीय पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के प्रमुख हैं। चुनाव नतीजों की समीक्षा में पता चलता है कि इस चुनाव परिणाम में राज्य की 32 में से 20 सीटें ऐसी रहीं, जिन पर वीबीए उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या ने दूसरे प्रमुख दलों की हार-जीत में प्रमुख भूमिका निभाई। ये सभी सीटें बहुत कम अंतर से बीजेपी-शिवसेना को गईं। माना जा रहा है कि अगर ये 20 सीटें कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन जीत जाता तो राज्य में विपक्ष की सीटों का आंकड़ा 124 पर पहुंच जाता, जो बहुमत से 21 ही कम रहता।
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महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों को क्षेत्रवार देखने पर पता चलता है कि अगर वीबीए ने विपक्ष के वोटों में सेंध नहीं लगाई होती तो विदर्भ में, खासकर नागपुर में बीजेपी का प्रदर्शन और खराब होता, जहां उसे अपनी लगभग आधी सीटें गंवानी पड़ी हैं। इसके अलावा भी कई ऐसी सीटें हैं जहां भले वीबीए उम्मीदवारों ने सीधे तौर पर विपक्ष को नुकसान नहीं पहुंचाया हो, लेकिन ठीकठाक वोट जरूर लाया है। कई सीटों पर तो साफ तौर वीबीए उम्मीदवारों को मिले वोटों से हार-जीत का अंतर काफी कम था।
हालांकि चुनाव से पहले ही विपक्षी दलों कांग्रेस और एनसीपी को वीबीए से होने वाले इस नुकसान का पूरा अनुमान था। विपक्षी गठबंधन मानकर चल रहा था कि वीबीए के चुनावी मैदान में होने से विपक्ष के ही वोट बटेंगे। इसको देखते हुए ही कांग्रेस ने प्रकाश अंबेडकर के साथ गठबंधन करने की कोशिश की थी, लेकिन अतिंम रूप से गठबंधन नहीं हो सका।
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गौरतलब है कि प्रकाश अंबेडकर ने वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) का गठन साल 2018 के शुरुआत में पुणे के गांव भीमा कोरेगांव में हुए भीषण दंगों के बाद किया था। इस चुनाव में वीबीए ने उम्मीदवार उतारते हुए सार्वजनिक रूप से दलितों और अल्पसंख्यकों से बीजेपी और शिवसेना के खिलाफ वोट करने की अपील की थी। इससे पहले इशी साल हुए लोकसभा चुनाव में भी वीबीए महत्वपूर्ण पक्ष बनकर उभरी थी। प्रकाश अंबेडकर की इस पार्टी के कारण लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को कम से कम 8 लोकसभा सीटों पर नुकसान हुआ और हार का सामना करना पड़ा।
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