झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली है। झारखंड की जनता ने रधुवर दास की विदाई कर दी है। अभी तक सत्ता में रही बीजेपी यहां दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। बीजेपी को मात्र 25 सीटों से ही संतोष करना पड़ा, जबकि मुख्य विपक्षी दल जारखंड मुक्ता मोर्चा (JMM) ने 30 जीतीं। जेएमएम संग गठबंधन में लड़ रही कांग्रेस ने 16 और आरजेडी ने एक सीटों पर जीत दर्ज की।
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इस हार से बीजेपी को न सिर्फ झारखंड की सत्ता गंवानी पड़ी है बल्कि पार्टी को इसका खामियाजा राज्यसभा चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है और इसकी आशंका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए साल 2024 में जब लोकसभा चुनाव में जाएगा तब पार्टी के पास प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट भी न बचे। एक अखबार के मुताबिक राज्यसभा चुनाव में अगर झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) बीजेपी का साथ देती है तो शायद समीकरण बदल जाए और पार्टी उच्च सदन में अपनी मौजूदा स्थिति को बनाए रखने में कामयाब हो जाए। बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव में जेवीएम ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
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गौरतलब है कि बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। फिर भी पार्टी राज्यसभा से कई महत्वपूर्ण बिल पास कराने में कामयाब रही थी। पार्टी संशोधित नागरिकता कानून, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को अमलीजामा पहनाने में सक्षम रही थी। ऐसा इसलिए है कि विपक्ष में मुख्य विपक्ष दल के अलावा अन्य दल भी हैं जो किसी धड़े में नहीं हैं। इनमें कुछ दलों का समर्थन लेने में बीजेपी कामयाब रही थी।
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बता दें कि झारखंड में राज्यसभा की छह सीटें हैं। इनमें तीन सीटें बीजेपी और एक-एक सीट कांग्रेस और आरजेडी के पास है। छठी सीट पर निर्दलीय उद्योगपति परिमल नाथवानी का कब्जा है। झारखंड में साल 2020, 2022 और 2024 में दो-दो साल के अंतराल पर दो-दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है, ऐसे में बीजेपी और सत्तापक्ष और जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा। खास बात है कि राज्य चुनाव परिणाम ने राज्यसभा अंक गणित को खासा पेचीदा बना दिया है।
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यह है पूरा गणित
झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं। ऐसे में राज्यसभा तक पहुंचने के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम 28 विधायकों का समर्थन मिलना जरूरी है। मौजूदा समय में बीजेपी के पास महज 25 विधायक हैं। जेएमएम गठबंधन के पास 47 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा अधिकतर ऐसे दूसरे दल भी हैं जो बीजेपी की अपेक्षा जेएमएम गठबंधन के ज्यादा करीब हैं। इसका मतलब है कि झारखंड में हर दूसरे साल में राज्यसभा के लिए वाले चुनाव में बीजेपी के पास जरुरी संख्या ना होने के चलते एक-एक सीटें जाने का खतरा मंडरा रहा है।
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