भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का गेम ओवर कर दिया है। पार्टी ने तीनों विधायकों को अपने दल में शामिल कर लिया है। इस तरह से वीआईपी अब बिना विधायक वाली पार्टी बन कर रह गई है। इसके साथ ही बीजेपी न केवल सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सबसे बड़ा दल बन गया है बल्कि राज्य में भी सबसे अधिक विधायकों की पार्टी बन गई है। इसके साथ ही वीआईपी का विधानसभा में अस्तित्व समाप्त हो गया।
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बिहार विधानसभा में अब भाजपा के विधायकों की संख्या 74 से बढ़कर 77 हो गई है। इससे पहले आरजेडी 75 विधायकों के साथ सबड़े बड़ी पार्टी थी। वीआईपी के चार विधायक थे, जिनमें मुसाफिर पासवान की मृत्यु होने के बाद तीन ही बचे थे।
वीआईपी के तीनों विधायकों मिश्री लाल यादव, राजू सिंह और स्वर्णा सिंह ने बुधवार की देर शाम बीजेपी कार्यालय पहुंचकर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सदस्यता ग्रहण कराई। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री तारकिशोर सिंह और रेणु देवी भी मौजूद रहीं।
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इससे पहले वीआईपी के तीनों विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से मुलाकात कर अपने दल का विलय बीजेपी में करने का पत्र सौंपा। विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ देर बाद ही विलय को मंजूरी भी दे दी।
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पटना के बीजेपी कार्यालय में तीनों विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यह घर वापसी है। उन्होंने कहा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले 11 उम्मीदवारों में से 8 उम्मीदवार बीजेपी के थे, इनमे से जीते 3 उम्मीदवार घर वापस आ गए।
वीआईपी के संस्थापक मुकेश सहनी विधान पार्षद हैं जो फिलहाल राज्य में पशु और मत्स्य संसाधन मंत्री हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि अब उनपर भी मंत्री पद छोड़ने का दबाव बढ़ेगा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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