हरियाणा विधानसभा चुनाव में अकाली-बीजेपी गठबंधन पूरी तरह से टूट गया और अब आपसी कड़वाहटें हदें पार कर रही हैं। हरियाणा में जाकर लगता ही नहीं कि पड़ोसी सूबे पंजाब में दोनों पार्टियों के बीच किसी किस्म का गठजोड़ है। भाजपाई मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और शिरोमणी अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल खुलकर एक दूसरे के खिलाफ जुबानी आक्रमण कर रहे हैं।
'नवजीवन' ने हरियाणा के दौरे के बाद पाया कि कई सीटों पर असर रखने वाले हरियाणवी सिख दोनों पार्टियों से खफा हैंं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का देश को 'हिंदू राष्ट्र' बनाने का मुद्दा हरियाणा के अल्पसंख्यक सिखों को हरगिज नामंजूर है और वे बीजेपी से दूरी बनाने लगे हैं। चुनावों के दरमियान यह मामला फिर मौजूंं हो चला है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में गठित हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अकाली-बीजेपी गठबंधन ने तीखा विरोध किया था। जबकि गठबंधन के समर्थन वाली एसजीपीसी पंजाब से बाहर सार्थक कहीं कुछ नहीं कर रही। बल्कि भेदभाव करती है।
शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल अपने समूचे सियासी विंग के साथ इन दिनों हरियाणा की चुनावी यात्रा पर हैं। बीजेपी से धोखा खाने और समझोता टूटने के बाद उन्होंने पुरानी परिवारिक मित्र पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठजोड़ कर लिया और इसके तहत अकाली दल के हिस्से तीन सीटें आईं। वहां प्रचार के दौरान बादल बीजेपी पर खुलकर बरसते हैं। इस संवाददाता ने 13 अक्टूबर को सुखबीर सिंह बादल की रतिया (हरियाणा) में रैली देखी। वहां सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हरियाणा में जो लोग (बीजेपी) सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, वे विपक्ष में बैठने के लिए तैयार रहें। राज्य की सत्ता इस बार उन्हें नहीं मिलने वाली।
बीजेपी को किसान विरोधी बताते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने हरियाणा में खट्टर की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। रतिया के गांव भिरडाना में उन्होंने केंद्र की नई परिवहन नीति की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि बीजेपी दोबारा सत्ता में आई तो पुलिस वाले किसानों के ट्रैक्टरों के चालान खेतों में जाकर काटेंगे। सुखबीर ने बीजेपी को धोखेबाज तक कह डाला। सुखबीर के इन तेवरों की गूंज पंजाब तक भी गई, लेकिन प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष श्वेत मलिक सहित पार्टी का कोई भी नेता प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हुआ। वैसे, पंजाब बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार के लिए हरियाणा में हैं।
शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष की ऐसी तीखी बयानबाजी के बीच बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र जारी होने की खबर आई। इस बाबत सुखबीर से पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि जब बीजेपी जीतेगी ही नहीं, इस पर वह कुछ कहकर अपना वक्त क्यों बर्बाद करें? सरकार बनने की कोई संभावना होती तो वह कोई टिप्पणी करते। हरियाणा में बादल लगातार जोर देकर जगह-जगह कह रहे हैं कि यह भ्रम है कि राज्य में बीजेपी के पक्ष में लहर है। हरियाणा में सिख भी खट्टर सरकार को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे।
हालांकि, बादल की रैलियों में कुछ सिखों ने सवाल किया कि हरसिमरत कौर बादल हरियाणा में चुनाव प्रचार क्यों नहीं कर रहींं? इसका जवाब भी सबके पास है कि बादल बहू, मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री हैं। हालांकि सुखबीर सिंह बादल अपनी किसी रैली में प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र तक नहीं करते लेकिन कुछ जूनियर अकाली नेता जरूर मोदी के खिलाफ बोलने से गुरेज नहीं कर रहे।
उधर, मनोहर लाल खट्टर सहित तमाम बीजेपी नेता भी शिरोमणि अकाली दल पर तीखा पलटवार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री खट्टर 13 अक्टूबर को कालांंवाली हल्के में थे। जहां बीजेपी के उम्मीदवार वह बलकौर सिंह हैंं, जिन्हें अकाली दल से तोड़कर पार्टी में लाया गया है। तमाम सिख बहुल इलाकों में खट्टर और अन्य बीजेपी नेता यह जरुर दोहराते हैं कि समझौते के लिए अकाली नेता उनके आगे-पीछे घूमते रहे लेकिन उन्होंने घास नहीं डाली। हरियाणा में अकाली दल का कोई वजूद नहीं और अकालियों की वजह से एसवाईएल मामले में हरियाणा के साथ बेइंसाफी हो रही है। हरियाणा को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल रहा, इसके लिए अकाली दल गुनाहगार है।
कालांंवाली में मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि यहां से जिस शख्स को शिरोमणि अकाली दल ने टिकट दिया है, वह स्मगलर है। एक तरह से खट्टर का इल्जाम था कि शिरोमणि अकाली दल नशे के सौदागरों को संरक्षण देता है। जहां-जहां अकाली उमीदवार मैदान में हैं, वहां सब जगह भाजपाई खूब प्रचार कर रहे हैं कि अकाली दागियों और अपराधियों को पाल रहे हैं।
कुल मिलाकर यह हाल है हरियाणा में टूट चुके उस बीजेपी-अकाली गठबंधन का, जो कथित तौर पर अभी 'राष्ट्रीय स्तर' पर कायम है। हरियाणा के बहुतेरे सिख बीजेपी से खफा हैं कि इस पार्टी के आका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत को संपूर्ण हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प दोहराया है। फतेहाबाद के सिख किसान सुखदेव सिंह ने पिछली बार बीजेपी को वोट दिया था। वह कहते हैं, "इस बार बीजेपी को वोट देने का सवाल ही नहीं पैदा होता, क्योंकि आरएसएस ने खुलकर जाहिर कर दिया है कि बीजेपी अल्पसंख्यक सिख विरोधी पार्टी है।" हरियाणा के बेशुमार सिखों का ऐसा ही मानना है।
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