दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन से नीतीश कुमार नदारद रहे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है। हालांकि जेडीयू ने ऐसी किसी बात से इनकार किया है। जेडीयू का कहना है कि उनके दिल्ली नहीं जाने का मतलब यह नहीं है कि वे अलग हो रहे हैं। एनडीए सरकार स्थिर और बरकरार है।
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वहीं, ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है, लेकिन जेडीयू नेता ने इसे खारिज कर दिया। चूंकि, एनडीए में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, ऐसे में मांग उठी कि बिहार का मुख्यमंत्री पार्टी का ही नेता हो, जो नीतीश कुमार को अच्छा नहीं लग रहा। इसी बात से खफा होकर नीतीश कुमार ने हाल में विरोधी पार्टी आरजेडी की इफ्तार पार्टी में शिरकत की और लाउडस्पीकर विवाद पर बीजेपी के खिलाफ खड़े हो गए।
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इन सबके बीच बिहार में नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच राजनीतिक दूरी कम होती दिख रही है। दोनों पिछले दस दिनों में तीन बार इफ्तार पार्टी में मिले हैं। पहले पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर, फिर 22 अप्रैल को और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के आवास पर दोनों की मुलाकात हुई।
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इन तीनों बैठकों का असर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बयानों पर भी दिख रहा है। तेजस्वी यादव, जो पहले कभी नीतीश कुमार पर निशाना साधा करते थे, अब वह सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार पर ही आरोप लगाते नजर आ रहे हैं। वहीं, नीतीश कुमार की विचारधारा और रुख बीजेपी से मेल नहीं खा रहे हैं। इस बीच कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुई है।
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