लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही बिहार में राजनीतिक माहौल गर्म है। राजनीतिक गालियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होने के लिए बहाने ढूंढ रहे हैं। हाल में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं हैं जो इस बात की ओर इशारा करती है कि नीतीश को बस एक मौके की तलाश है।
Published: 08 Jun 2019, 3:30 PM IST
जैसा कि आप जानते होंगे जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की कंपनी आई-पैक टीएमसी के लिए काम करने वाली है। इसके लिए कोलकाता में प्रशांत किशोर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक बैठक भी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि ये फैसला लेने से पहले प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से दो बार मुलाकात की थी। प्रशांत किशोर के इस फैसले का जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने भी समर्थन किया था। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश के परमिशन के बाद ही प्रशांत ने यह फैसला किया है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाएंगे। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर जेडीयू अपने ही पार्टी के नेता को बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए क्यों आगे कर रहे हैं?
Published: 08 Jun 2019, 3:30 PM IST
केंद्रीय मंत्रिपरिषद से अलग रहने के जेडीयू के फैसले के बाद प्रशांत किशोर को ममता बनर्जी के साथ भेजने का निर्णय क्या नीतीश कुमार का बदला है ? या फिर यह बीजेपी को बैकफुट पर रखने की रणनीति का हिस्सा है? या वह बीजेपी से अलग होने का रास्ता ढूंढ रहे हैं ?
Published: 08 Jun 2019, 3:30 PM IST
राजनीतिक जानकारों के हवाले से न्यूज18 ने खबर छापी है जिसमें कहा गया है कि नीतीश कुमार जो भी कर रहे हैं, काफी सोच समझकर कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार आज नहीं तो कल बीजेपी से अलग जरूर होंगे, उन्हें बस सही मौके की तलाश है। राजनीति जानकारों और पत्रकारों का भी मानना है कि फिलहाल नीतीश कुमार 'वेट एंड वॉच' की नीति पर चल रहे हैं, लेकिन उन्हें पता है कि आने वाले समय में बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी राजनीतिक ताकत अधिक कारगर साबित हो सकती है। पत्रकारों का मानना है कि नीतीश कुमार को जहां 2014 में अकेले लड़ने से अपनी कम ताकत का अहसास हो चुका है, वहीं 2015 में आरजेडी के साथ आकर बीजेपी को धूल भी चटाने की शक्ति मालूम है। ऐसे में वह एक और चांस ले भी सकते हैं।
Published: 08 Jun 2019, 3:30 PM IST
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Published: 08 Jun 2019, 3:30 PM IST